चंडीगढ़, 18 सितंबर : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं विधायक पदम श्री परगट सिंह ने पंजाब में आम आदमी पार्टी के ‘शिक्षा क्रांति’ अभियान पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार की यह कैसी ‘शिक्षा क्रांति’ है, जिसमें राज्य के लगभग 1000 सरकारी स्कूलों में नियमित प्रिंसिपल ही नहीं हैं। शिक्षकों की बात करें तो सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को इस हद तक खोखला कर दिया है कि लगभग 2 लाख छात्रों को कॉलेजों से नाम वापस लेने पड़े और वे उच्च शिक्षा से वंचित रह गए।
परगट सिंह ने ‘शिक्षा क्रांति’ पर उठाए सवाल
उन्होंने कहा कि सिर्फ़ स्कूलों की रंगाई-पुताई और आम आदमी पार्टी के नेताओं के नाम के पत्थर लगाने से शिक्षा में क्रांति नहीं आएगी। स्कूलों के ढाँचागत विकास के साथ-साथ शिक्षकों की कमी को पूरा करना होगा। स्कूलों में नियमित प्रधानाचार्यों की भर्ती करनी होगी। लोग कल्पना कर सकते हैं कि जिस स्कूल में प्रधानाचार्य ही न हों, वहाँ शिक्षा का क्या हाल होगा।
सरकार ने सरकारी कॉलेजों को निजी हाथों में सौंपकर शिक्षा को बर्बादी की ओर धकेल दिया है। इन्हीं कारणों से 2 लाख से ज़्यादा छात्र किसी न किसी कारण से सरकारी कॉलेजों से अपना नाम वापस लेने को मजबूर हुए और उच्च शिक्षा से वंचित रहे। उन्होंने कहा कि यही उनकी शिक्षा क्रांति है।
मुख्यमंत्री किसी की सुनने को तैयार नहीं : परगट सिंह
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस अहंकारी हैं और मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान किसी की सुनने को तैयार नहीं हैं। परगट सिंह ने कहा कि उन्होंने सीएम मान से 1158 असिस्टेंट प्रोफेसरों के मामले में उनकी बात सुनने का अनुरोध किया था। 1158 असिस्टेंट प्रोफेसर और लाइब्रेरियन इतने दोषी हैं कि वे कल अपनी बात सुनाने के लिए सीएम आवास के बाहर धरना देने गए थे।
वे सरकार को याद दिलाने गए थे कि आपने वादा किया था कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करेगी, लेकिन अभी तक दायर नहीं की गई। उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया।
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