इस्लामाबाद, 18 सितंबर : पाकिस्तान की सरकार और सैन्य नेतृत्व भले ही अर्थव्यवस्था में सुधार के दावे कर रहे हों, लेकिन देश की जनता इन दावों पर यकीन नहीं करती। यही वजह है कि पाकिस्तान से दूसरे देशों में पलायन बढ़ रहा है और पिछले तीन सालों में करीब 29 लाख नागरिक दूसरे देशों में जा चुके हैं। कम वेतन, सुविधाओं की कमी और निजी क्षेत्र में शिक्षा की ऊंची लागत के कारण लोग पाकिस्तान से बाहर अपना भविष्य तलाश रहे हैं। इतना ही नहीं, नागरिक इसके लिए मोटी रकम चुकाने से भी नहीं कतरा रहे हैं। पाकिस्तान से दूसरे देशों में जाने वाले नागरिकों ने आव्रजन शुल्क के रूप में 2.66 अरब रुपये चुकाए हैं।
पेशेवर लोग भी देश छोड़ रहे हैं
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, प्रवास केवल अकुशल श्रमिकों तक ही सीमित नहीं है। इसमें डॉक्टर, इंजीनियर, आईटी विशेषज्ञ, शिक्षक, बैंकर, अकाउंटेंट, ऑडिटर, डिज़ाइनर, आर्किटेक्ट जैसे पेशेवर भी शामिल हैं। इसके अलावा, ड्राइवर, प्लंबर, वेल्डर और अन्य कुशल श्रमिक भी बेहतर भविष्य की तलाश में दूसरे देशों का रुख कर रहे हैं। खास बात यह है कि दूसरे देशों में जाने वालों में बड़ी संख्या महिलाओं की है।
40 प्रतिशत पाकिस्तानी देश छोड़ना चाहते हैं
डेनमार्क के विदेश मंत्रालय और अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) के एक संयुक्त सर्वेक्षण में पाया गया है कि लगभग 40 प्रतिशत पाकिस्तानी देश छोड़ना चाहते हैं। इससे पता चलता है कि महंगाई, बेरोजगारी और राजनीतिक अस्थिरता के कारण लोगों में निराशा बढ़ रही है।
वे अवैध तरीके अपना रहे हैं
बढ़ते अवैध आव्रजन ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। 2022 के पहले 10 महीनों के दौरान यूरोप में अवैध प्रवेश के मामलों में 280 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कई लोग बेहतर अवसरों की तलाश में अपनी जान जोखिम में डालकर दुबई, मिस्र और लीबिया के रास्ते यूरोप में प्रवेश कर रहे हैं। इसलिए लोग हर तरह के हथकंडे अपना रहे हैं।
यह भी देखें : पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच नाटो देशों की तरह समझौता

More Stories
राष्ट्रपति ट्रंप के एप्सटीन फाइल्ज ट्रांस्परेंसी एक्ट पर हस्ताक्षर, क्या खुलेंगे राज?
अमेरिका दौरे पर साऊदी क्राउन प्रिंस, रिपोर्टरों के तीखे सवालों से हुए परेशान ट्रंप
ब्रिटेन में शरणार्थी के तौर पर रह रहे भारतीयों को बड़ा झटका