बठिंडा: पंजाब सरकार और कृषि विभाग के प्रयासों के बावजूद पिछले तीन वर्षों में जिले में धान का रकबा 27,000 हेक्टेयर बढ़ गया है। दूसरी ओर, कपास का क्षेत्रफल हर साल घट रहा है। किसानों द्वारा कपास की खेती से मुंह मोड़ने का रुझान भूजल के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है। जिले में कपास का रकबा घट रहा है, जबकि धान का रकबा लगातार बढ़ रहा है। बठिंडा जिले के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2022 में कपास का रकबा 70.05 हजार हेक्टेयर था, जबकि धान की बिजाई 1.89 लाख हेक्टेयर में हुई थी। अगले वर्ष, 2023 में कपास का क्षेत्रफल 70 हजार हेक्टेयर से घटकर केवल 28 हजार हेक्टेयर रह जाएगा। इस प्रकार करीब 42 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में कम कपास बोया गया।
दूसरी ओर, धान का रकबा 1.89 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 2.00 लाख हेक्टेयर हो गया। इस प्रकार, इस वर्ष धान की बुवाई अधिक क्षेत्र में की गई। अगर वर्ष 2024 की बात करें तो कपास का रकबा वर्ष 2023 के मुकाबले आधा रह गया है। इस वर्ष कपास की बुवाई करीब 14,500 हेक्टेयर भूमि में ही हुई है, जबकि धान का रकबा बढ़कर 2.16 लाख हेक्टेयर हो गया है। इस वर्ष धान की खेती में करीब 16 हजार हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि पंजाब सरकार और कृषि विभाग हर साल धान के रकबे को कम करने की कोशिश करते हैं, लेकिन इसके बावजूद धान का रकबा लगातार बढ़ रहा है।
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