रोम, 23 सितंबर : इटली के लोग हमेशा से इंसाफ़ पसंद लोग रहे हैं और समय-समय पर इंसाफ़ के लिए आवाज़ उठाते रहे हैं। आज पूरे इटली में ऐसा ही माहौल देखने को मिला, जिसमें युवा इतालवी लड़के-लड़कियाँ न सिर्फ़ सड़कों पर उतरे और फ़िलिस्तीन के समर्थन में ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन किया, बल्कि नारे भी लगाए। यह ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन इटली के उत्तर से लेकर दक्षिण तक देखा गया, जिसमें मिलान से लेकर रोम तक लोगों की भारी भीड़ खराब मौसम के बावजूद पुलिस प्रशासन के लिए परेशानी का सबब बनी रही।
गाजा के लिए इटली के लोग सड़कों पर उतर आए और पहले तो रेलगाड़ियाँ, सार्वजनिक परिवहन और स्कूल बंद कर दिए, और बाद में बड़ी संख्या में लोग बड़े शहरों की सड़कों पर मार्च करते हुए धरने पर बैठ गए और नारे लगाने लगे। इस विशाल विरोध प्रदर्शन का जहाँ रोम में विनाशकारी प्रभाव देखा गया, वहीं मिलान में प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प हुई। न्याय के लिए जमीनी स्तर पर काम करने वाले संघ सिंडाकाले द्वारा आहूत राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन पूरे दिन प्रशासन के लिए सिरदर्द बना रहा और पुलिस उन्हें नियंत्रित करने में व्यस्त रही।
प्रदर्शनकारियों ने इतालवी सरकार से मांग की
प्रदर्शनकारियों ने इटली सरकार से इज़राइल के साथ व्यापारिक संबंध समाप्त करने और सैन्य सहायता बंद करने की मांग की। प्रदर्शन के आयोजकों का दावा है कि मिलान में 50,000 से ज़्यादा लोग सड़कों पर उतरे। इसी तरह, बोलोग्ना में गाजा के समर्थन में 10,000 से ज़्यादा लोगों ने प्रदर्शन किया।
पुलिस ने मिर्च स्प्रे और पानी की बौछारें कीं
मिलान में प्रदर्शन के दौरान, प्रदर्शनकारियों ने रेलवे स्टेशन का मुख्य द्वार तोड़ने की कोशिश की। जब पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो उन्होंने उन पर धुएँ के बम और पत्थर फेंके। जवाब में, पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए मिर्ची स्प्रे और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया। एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि गाज़ा में बच्चों की मौत और अस्पतालों पर हमलों की खबरों के सामने अब चुप रहना संभव नहीं है। इटली को अब कोई फ़ैसला लेना होगा।
जानिए जॉर्जिया मेलोनी ने क्या कहा?
इतालवी प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने कहा कि उन्होंने प्रदर्शन के आयोजकों से बात की है। आयोजकों ने फ़िलिस्तीनी राज्य को तत्काल मान्यता देने की माँग की है। मेलोनी ने उनकी माँगों को एक गुमराह करने वाला और भ्रामक कदम बताया और विरोध प्रदर्शनों को कट्टरपंथी वामपंथी यूनियनों की राजनीति करार दिया।
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