चंडीगढ़, 5 अक्तूबर : पंजाब के पशुपालन, डेयरी विकास और मत्स्य पालन मंत्री श्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने आज घोषणा की कि डेयरी क्षेत्र में उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करने और पशुपालन उत्पादकता को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, पंजाब पशुपालन विभाग राज्यभर में ‘ब्लॉक स्तरीय दूध दुहाई प्रतियोगिता-2025-26’ आयोजित करेगा।
श्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने बताया कि ये प्रतियोगिताएं 6 अक्तूबर 2025 से शुरू होकर पूरे वर्ष चलेंगी और राज्य के सभी 154 ब्लॉकों में हर महीने के दूसरे सोमवार को आयोजित की जाएंगी। इससे डेयरी व्यवसाय से जुड़े किसानों को अपने सर्वश्रेष्ठ पशुधन को प्रदर्शित करने और बेहतर पशुपालन अभ्यास अपनाने का मंच मिलेगा।
हर महीने के दूसरे सोमवार को होंगी प्रतियोगिताएं: गुरमीत सिंह खुड्डियां
इस प्रतियोगिता में भाग लेने की श्रेणियों और न्यूनतम दूध उत्पादन मानकों की रूप रेखा संबंधी जानकारी देते हुए श्री खुड्डियां ने बताया कि मुर्रा और मुर्रा ग्रेडेड नस्ल की भैंसें 16 किलोग्राम या उससे अधिक दूध देने वाली हों, निली रावि और निली रावि ग्रेडेड भैंसें 14 किलोग्राम या उससे अधिक, साहिवाल और अन्य देसी नस्ल की गायें 12 किलोग्राम या उससे अधिक, एच.एफ. और एच.एफ. क्रॉस गायें 30 किलोग्राम या उससे अधिक, जर्सी और जर्सी क्रॉस गायें 16 किलोग्राम या उससे अधिक तथा किसी भी नस्ल की बकरियां 2.5 किलोग्राम या उससे अधिक दूध देने वाली हों।
पशुपालकों को प्रतियोगिता में अधिक से अधिक भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कैबिनेट मंत्री ने कहा कि हमारे किसान पंजाब की रीढ़ की हड्डी हैं और हमारे डेयरी क्षेत्र में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाइयों तक ले जाने की अपार संभावना है। यह प्रतियोगिता केवल पुरस्कार जीतने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पशु प्रबंधन में उत्कृष्ट अभ्यासों की पहचान कर उन्हें सम्मानित करने और प्रसारित करने का एक रणनीतिक मिशन है।
हम पारिस्थितिकी तंत्र की दिशा में योगदान दे रहे हैं
उन्होंने कहा कि हमारे किसानों को उच्च उत्पादन देने वाली नस्लें पालने के लिए प्रेरित करके हम प्रत्यक्ष तौर पर पंजाब में अधिक आय, बेहतर आनुवंशिक गुणों और एक अधिक मजबूत, टिकाऊ डेयरी पारिस्थितिकी तंत्र की दिशा में योगदान दे रहे हैं।
यह पहल मुख्यमंत्री श्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार की उस व्यापक दृष्टि का हिस्सा है, जिसके तहत किसानों को सशक्त बनाना, सहायक कृषि गतिविधियों को प्रोत्साहित करना और सतत आर्थिक विकास सुनिश्चित करना शामिल है। श्री खुड्डियां ने कहा कि इससे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा मिलेगा, जिससे राज्य के पशुधन में महत्तवपूर्ण गुणात्मक सुधार होगा।
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