नई दिल्ली, 12 अक्तूबर : देश का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज, एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज), हर दिन लगभग 150 से 170 मिलियन (17 करोड़) साइबर हमलों का सामना करता है। इनसे निपटने के लिए, एक्सचेंज के पास ‘साइबर योद्धाओं’ की एक टीम है जो 24 घंटे सक्रिय रहती है और हमलों की तुरंत पहचान करके उन्हें रोकती है।
एनएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “रोज़ाना लाखों साइबर हमले होते हैं, लेकिन हमारी तकनीकी टीम और उन्नत प्रणालियाँ 24 घंटे सक्रिय रहती हैं। विशेष सॉफ़्टवेयर और मशीन इंटेलिजेंस की मदद से इन हमलों को नाकाम कर दिया जाता है।”
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान 40 करोड़ हमले
हाल ही में भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान NSE पर एक ही दिन में रिकॉर्ड 40 करोड़ साइबर हमले हुए। हालाँकि, हमलावर NSE को कोई नुकसान नहीं पहुँचा सके। एक्सचेंज के तकनीकी ढाँचे, मशीनों और विशेषज्ञों की टीम ने सभी हमलों को नाकाम कर दिया। आपको बता दें कि आमतौर पर NSE पर हर दिन 15 करोड़ से 17 करोड़ साइबर हमले होते हैं। इन हमलों को रोकने के लिए टीमें 24 घंटे सक्रिय रहती हैं।
एनएसई की साइबर सुरक्षा प्रणाली कैसे काम करती है?
एनएसई के दो साइबर सुरक्षा केंद्र हैं जिन पर लगातार नज़र रखी जाती है। यहाँ हर लेन-देन और डिजिटल चैनल को सॉफ्टवेयर से स्कैन किया जाता है ताकि किसी भी संदिग्ध गतिविधि को तुरंत रोका जा सके। ईमेल, पेन ड्राइव, बाहरी डेटा और DDoS हमलों से सुरक्षा के लिए सुरक्षा व्यवस्था में कड़े प्रोटोकॉल लागू हैं। जैसे ही कोई संदिग्ध ट्रैफ़िक का पता चलता है, सिस्टम अपने आप अलर्ट जारी कर देता है।
DDoS क्या है और यह खतरनाक क्यों है?
डीडीओएस (डिस्ट्रीब्यूटेड डेनियल ऑफ सर्विस) हमला हज़ारों स्रोतों में से किसी एक से ट्रैफ़िक भेजकर सर्वर को बाधित करता है। अगर एनएसई जैसे वित्तीय संस्थान के साथ ऐसी घटना होती है, तो देश भर के लाखों निवेशकों का सिस्टम बाधित हो सकता है। इस खतरे को देखते हुए, एनएसई ने सभी ट्रेडिंग सदस्यों और कर्मचारियों के लिए वल्नरेबिलिटी असेसमेंट एंड टेस्टिंग (वीएपीटी) जैसे कड़े सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य कर दिए हैं।
यह भी देखें : दरबार साहिब से आतंकवादियों को हटाने का गलत तरीका था ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’: चिदंबरम
More Stories
फिल्मफेयर पुरस्कारों में “लपता लेडीज़” का जलवा, 13 पुरस्कार जीते
गुड़गांव के पास मुठभेड़ में अमृतसर के दो शार्पशूटर गिरफ्तार
बीएसएफ एयर विंग को मिली पहली महिला फ्लाइट इंजीनियर