लंदन, 25 अक्तूबर : मस्तिष्क में मस्तिष्कमेरु द्रव (सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड) की गति में कमी से अपशिष्ट पदार्थों के निपटान में समस्या आ सकती है, जिससे डिमेंशिया का खतरा बढ़ सकता है। इसके साथ ही, मस्तिष्कमेरु द्रव के कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य भी हैं। इनमें केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को झटकों से बचाना और पोषक तत्व पहुंचाना आदि शामिल हैं। यह रंगहीन द्रव ग्लिम्फेटिक प्रणाली का हिस्सा है।
ब्रिटेन स्थित कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा कि ग्लिम्फेटिक प्रणाली को डिमेंशिया से बचाने में महत्वपूर्ण माना जाता है। डिमेंशिया एक न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार है, जिसमें याददाश्त और विचार प्रक्रियाएं उम्र के साथ धीरे-धीरे प्रभावित होती हैं और अंततः दैनिक गतिविधियों में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं।
यह अध्ययन अल्जाइमर एसोसिएशन के जर्नल, अल्जाइमर एंड डिमेंशिया में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन से पता चलता है कि हृदय संबंधी जोखिम कारक जैसे मस्तिष्क में छोटी रक्त वाहिकाओं को नुकसान और उच्च रक्तचाप ग्लाइम्फेटिक प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकते हैं और मनोभ्रंश के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। अध्ययन ने 40,000 वयस्कों के एमआरआई स्कैन का विश्लेषण किया।
शोधकर्ताओं ने तीन बायोमार्करों की पहचान की जो किसी व्यक्ति के मनोभ्रंश के जोखिम की भविष्यवाणी करने में मदद कर सकते हैं। इन बायोमार्करों में रक्त वाहिकाओं के चारों ओर छोटे चैनलों के माध्यम से द्रव का प्रसार और मस्तिष्क के माध्यम से बहने वाले मस्तिष्कमेरु द्रव की गति शामिल है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में क्लिनिकल न्यूरोसाइंसेज विभाग के लेखक यूटोंग चेन ने कहा कि शोध से जानकारी मिलती है कि ग्लाइम्फेटिक प्रणाली का वितरण मनोभ्रंश में भूमिका निभाता है।
यह भी देखें : 4 पेज के सुसाइड नोट में बलात्कार का दिल दहला देने वाला ब्यौरा

More Stories
राष्ट्रपति ट्रंप के एप्सटीन फाइल्ज ट्रांस्परेंसी एक्ट पर हस्ताक्षर, क्या खुलेंगे राज?
अमेरिका दौरे पर साऊदी क्राउन प्रिंस, रिपोर्टरों के तीखे सवालों से हुए परेशान ट्रंप
ब्रिटेन में शरणार्थी के तौर पर रह रहे भारतीयों को बड़ा झटका