पटियाला, 25 अक्तूबर : सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख और पंजाब सरकार की सख्ती के बाद इस साल पंजाब में पराली जलाने के मामलों में काफी कमी आई है. 15 सितंबर से पराली जलाने के मामलों की निगरानी शुरू हो गई है। पिछले 39 दिनों में अब तक कुल 512 मामले सामने आए हैं, जो पिछले साल से करीब 70 फीसदी कम है।
साल 2024 में 23 अक्टूबर तक 1638 मामले सामने आए थे, जबकि साल 2023 में 23 अक्टूबर तक यह आंकड़ा 1946 था. गुरुवार को भी 28 जगहों पर पराली जलाने की घटनाएं सामने आईं. सरकार की सख्ती की बात करें तो पिछले 39 दिनों में अब तक पराली जलाने के मामलों में 215 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। 214 किसानों की जमीनों पर रेड एंट्री की गई है। 13.25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। इसमें से 8.95 लाख रुपये की वसूली भी की जा चुकी है।
तरनतारन में पराली जलाने के सबसे अधिक 159 मामले दर्ज
पंजाब में इस साल 31.72 लाख हेक्टेयर रकबे में धान की खेती हुई है। इसमें से लगभग 40 प्रतिशत रकबे में कटाई पूरी हो चुकी है, जबकि 60 प्रतिशत अभी बाकी है। धान की कटाई के साथ ही पराली जलाने की घटनाएँ शुरू हो गई हैं, लेकिन यह आँकड़ा काफी कम है। तरनतारन पराली जलाने के 159 मामलों के साथ पहले स्थान पर है, जबकि अमृतसर 133 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है।
AQI में भी सुधार हुआ है।
हालांकि 20 अक्टूबर को दिवाली और 21 अक्टूबर को बंदी छोड़ दिवस पर प्रदूषण खतरनाक बना रहा, लेकिन शुक्रवार को प्रदूषण में सुधार हुआ। अमृतसर का एक्यूआई गुरुवार के मुकाबले 88 अंक घटकर 218 रहा। इसी तरह जालंधर का एक्यूआई 62 अंक घटकर 266, पटियाला का एक्यूआई 137 अंक घटकर 146 रहा। हालांकि लुधियाना का एक्यूआई गुरुवार की तरह शुक्रवार को भी 304 पर ही रहा।
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