नई दिल्ली, 14 नवम्बर : रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी ने शुक्रवार को फेमा मामले में तलब किए जाने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष वर्चुअल माध्यम से पेश होने की पेशकश की। 66 वर्षीय कारोबारी के प्रवक्ता द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि वह विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत संघीय एजेंसी की जाँच में पूरा सहयोग कर रहे हैं। यह मामला 15 साल पुरानी जयपुर-रिंगस राजमार्ग परियोजना से जुड़ा है।
सूत्रों के मुताबिक, ईडी ने अमिल अंबानी को शुक्रवार को पेश होकर अपना बयान दर्ज कराने को कहा था। हाल ही में मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत अंबानी और उनकी कंपनियों की 7,500 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क करने के बाद, ईडी ने कहा था कि फेमा के तहत रिलायंस इंफ्रा के खिलाफ की गई छापेमारी में पाया गया कि राजमार्ग परियोजना से कथित तौर पर 40 करोड़ रुपये का गबन किया गया था।
इस मामले पर अंबानी का बयान
अंबानी के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि यह मामला 15 साल पुराना है और एक सड़क ठेकेदार से जुड़ा है। 2010 में, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को जेआर टोल रोड (जयपुर-रींगस हाईवे) के निर्माण का ईपीसी ठेका दिया गया था। यह हाईवे 2021 में बनकर तैयार हुआ और पिछले चार सालों से एनएचएआई के अधीन काम कर रहा है। अंबानी आर-इंफ्रा के बोर्ड सदस्य नहीं हैं।
वह अप्रैल 2007 से मार्च 2022 तक लगभग 15 वर्षों तक कंपनी में एक गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में रहे और कंपनी के दैनिक प्रबंधन से उनका कोई लेना-देना नहीं था। ईडी ने अंबानी से मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में भी पूछताछ की है, जो कथित तौर पर उनके समूह की कंपनियों के खिलाफ 17,000 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी से जुड़ा है।

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