नई दिल्ली, 27 नवंबर : दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को दिल्ली सरकार और जेल अधिकारियों को 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में दोषी ठहराए गए और आजीवन कारावास की सजा पाए पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोखर की याचिका पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। खोखर ने सामाजिक संबंधों को फिर से बनाने के लिए पैरोल पर जेल से रिहाई की मांग की है।
न्यायमूर्ति रवींद्र डुडेजा की पीठ ने दिल्ली सरकार और जेल अधिकारियों को जवाब दाखिल करने का समय देते हुए सुनवाई 5 दिसंबर तक स्थगित कर दी। अदालत ने इससे पहले सरकार और जेल अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था।
हाईकोर्ट ने टाला फैसला
आरोपी बलवान ने जेल अधिकारियों द्वारा 4 सितम्बर को उसकी पैरोल याचिका खारिज करने के आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए कहा है कि उसकी रिहाई से इनकार करना सार्वजनिक शांति और व्यवस्था के लिए खतरा है।
हालाँकि, याचिका में बलवान ने अपने परिवार के सदस्यों से मिलने और सामाजिक संबंध फिर से स्थापित करने के लिए 21 दिनों की पैरोल की माँग की है। खोखर और चार अन्य को 2013 में एक निचली अदालत ने हत्या और दंगे के आरोप में दोषी ठहराया था। हालाँकि, पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को इसी मामले में बरी कर दिया गया था।
यह मामला 1 नवंबर, 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, गाजियाबाद के राज नगर में पाँच सिखों की हत्या और एक गुरुद्वारे को जलाने से संबंधित है। दिसंबर 2018 में, उच्च न्यायालय ने सज्जन कुमार को बरी करने के फैसले को पलटते हुए खोखर की दोषसिद्धि और सज़ा को बरकरार रखा। उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ खोखर की अपील फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है।

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