ढाका, 1 दिसम्बर : 16 साल पहले हुए हिंसक विद्रोह की जाँच के लिए गठित एक आयोग ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें दावा किया गया है कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इन हत्याओं का आदेश दिया था। इस विद्रोह में दर्जनों वरिष्ठ सैन्य अधिकारी मारे गए थे। बांग्लादेश राइफल्स (बीडीआर) के आक्रोशित सैनिकों ने दो दिवसीय विद्रोह के दौरान सैन्य अधिकारियों समेत 74 लोगों की हत्या कर दी थी। 2009 में ढाका से शुरू हुआ और पूरे देश में फैल गया यह विद्रोह, तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता संभालने के कुछ ही हफ़्तों बाद उनकी सरकार को अस्थिर कर गया था।
विदेशी ताकतों की संलिप्तता भी सामने आई
रविवार को प्रस्तुत आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, हसीना के नेतृत्व वाली तत्कालीन अवामी लीग सरकार विद्रोह में सीधे तौर पर शामिल थी। सरकारी प्रेस कार्यालय ने आयोग के प्रमुख एएलएम फ़ज़लुर रहमान के हवाले से कहा कि पूर्व सांसद फ़ज़ल नूर तपोश ने “मुख्य समन्वयक” के रूप में काम किया और हसीना के इशारे पर हत्याओं को अंजाम देने की हरी झंडी दी। बयान में कहा गया है कि जाँच में विदेशी ताकतों की संलिप्तता भी स्पष्ट रूप से सामने आई है।
पिछले साल छात्रों के नेतृत्व वाले विद्रोह के बाद हसीना को सत्ता से बेदखल कर दिया गया था, जिसके बाद मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने घटना की जाँच के लिए एक आयोग का गठन किया था। 78 वर्षीय हसीना ने बांग्लादेश लौटने के अदालती आदेश की अवहेलना करते हुए भारत में शरण मांगी है।
रिपोर्ट में भारत पर भी आरोप लगाया गया है
रहमान ने पत्रकारों से बात करते हुए भारत पर नरसंहार के बाद देश को अस्थिर करने और “बांग्लादेशी सेना को कमज़ोर” करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। रहमान ने कहा, “बांग्लादेशी सेना को कमज़ोर करने की एक लंबे समय से चली आ रही साज़िश थी।” इस आरोप पर भारत की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
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