नई दिल्ली, 21 दिसम्बर : अमेरिका द्वारा 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के बाद पिछले चार महीनों से चीन को भारतीय निर्यात में लगातार वृद्धि हो रही है। नवंबर 2025 में चीन को निर्यात पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 90 प्रतिशत बढ़ गया, लेकिन इसके बावजूद चीन से आयात अभी भी बहुत अधिक है। इसे देखते हुए चालू वित्त वर्ष 2025-26 में चीन के साथ व्यापार घाटा 100 अरब डॉलर से अधिक रह सकता है। इस वित्त वर्ष (अप्रैल-नवंबर 2025) में अब तक भारत ने चीन से 84 अरब डॉलर का आयात किया है, जबकि इस अवधि में चीन को केवल 12.22 अरब डॉलर का निर्यात हुआ है।
व्यापार विशेषज्ञों के अनुसार, भारत केवल चार उत्पादों के घरेलू उत्पादन को बढ़ाकर अपने व्यापार घाटे को काफी हद तक कम कर सकता है। ये उत्पाद हैं: इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, कार्बनिक रसायन और प्लास्टिक। ये चार उत्पाद चीन से होने वाले कुल आयात का 70-75 प्रतिशत हिस्सा हैं।
प्रमुख आंकड़ों पर निर्भरता
आयात के आंकड़े (जनवरी-नवंबर 2025): चीन से कुल आयात 113 अरब डॉलर का था। इसमें से 80 अरब डॉलर केवल इन चार उत्पादों से थे (इलेक्ट्रॉनिक्स 38 अरब डॉलर, मशीनरी 25 अरब डॉलर, रसायन 11.5 अरब डॉलर और प्लास्टिक 6.3 अरब डॉलर)।
निर्भरता: भारत अभी भी मोबाइल कंपोनेंट्स (8.6 बिलियन डॉलर), इंटीग्रेटेड सर्किट (6.2 बिलियन डॉलर), लैपटॉप (4.5 बिलियन डॉलर), सोलर सेल (3 बिलियन डॉलर) और लिथियम आयन बैटरी के लिए चीन पर निर्भर है।
भारत मोबाइल फोन का सबसे बड़ा निर्यातक बन गया
पिछले पांच वर्षों में भारत मोबाइल फोन का एक प्रमुख निर्यातक बनकर उभरा है, लेकिन इसके लिए आवश्यक कच्चे माल और मशीनरी के लिए यह अभी भी चीन पर निर्भर है। हालांकि, लैपटॉप और पैनल डिस्प्ले जैसे उत्पादों का घरेलू उत्पादन जल्द ही बढ़ने की उम्मीद है।

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