नई दिल्ली, 22 दिसम्बर : अमेरिका में कार्यरत H-1B वीज़ा धारक कई भारतीय पेशेवर इस समय गंभीर परेशानी का सामना कर रहे हैं। इस महीने वर्क परमिट नवीनीकरण के लिए भारत आए इन लोगों की अमेरिकी कौंसुलर दफ्तरों में तय वीज़ा अपॉइंटमेंट्स अचानक रद्द कर दी गईं, जिससे वे भारत में ही फंस गए हैं।
अचानक रद्द हुईं वीज़ा अपॉइंटमेंट्स
वॉशिंगटन पोस्ट ने इमीग्रेशन वकीलों के हवाले से बताया कि 15 से 26 दिसंबर के बीच निर्धारित बड़ी संख्या में अपॉइंटमेंट्स रद्द कर दी गईं। इससे सैकड़ों परिवारों की वापसी अनिश्चित हो गई है। अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट द्वारा भेजी गई ईमेल में बताया गया है कि ट्रंप प्रशासन की नई सोशल मीडिया वेटिंग पॉलिसी लागू होने के कारण वीज़ा इंटरव्यू में देरी हो रही है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी आवेदक अमेरिका की राष्ट्रीय या सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा न बने।
भारत स्थित अमेरिकी दूतावास ने 10 दिसंबर को स्पष्ट किया था कि सोशल मीडिया और ऑनलाइन गतिविधियों की जांच अब सभी H-1B कर्मचारियों और उनके H-4 आश्रित परिवारजनों तक बढ़ा दी गई है। पहले यह जांच केवल छात्र और एक्सचेंज विज़िटर वीज़ा (F, M, J) श्रेणियों तक सीमित थी।
H-1B और H-4 धारकों तक बढ़ी जांच
इमीग्रेशन विशेषज्ञों के अनुसार इस फैसले से बड़ी संख्या में भारतीय पेशेवर प्रभावित हुए हैं। अकेले ह्यूस्टन की एक लॉ फर्म के 100 से अधिक ग्राहक भारत में फंसे हुए हैं। स्टेट डिपार्टमेंट ने साफ किया है कि वीज़ा प्रक्रिया को तेज करने की बजाय अब हर मामले की बारीकी से जांच को प्राथमिकता दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि अमेरिका में कुल H-1B वीज़ा धारकों में लगभग 71 प्रतिशत भारतीय हैं।
तीसरे देश से नवीनीकरण पर रोक, नई फीस लागू
जुलाई में हुए एलान के अनुसार अब H-1B धारक किसी तीसरे देश से वीज़ा नवीनीकरण नहीं करा सकते। इसके अलावा 19 सितंबर को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हस्ताक्षरित आदेश के तहत नई H-1B अर्ज़ियों पर 1 लाख डॉलर की भारी फीस भी लागू कर दी गई है, जो 2026 की लॉटरी से संबंधित नई याचिकाओं पर प्रभावी होगी। इस पूरी स्थिति ने न सिर्फ भारतीय कर्मचारियों बल्कि उन्हें रोजगार देने वाली अमेरिकी कंपनियों के बीच भी असमंजस और अनिश्चितता पैदा कर दी है।
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