December 26, 2025

टेलीग्राम के फाउंडर का अनोखा ऐलान, DNA साबित करो और बनो अरबों की संपत्ति के वारिस

टेलीग्राम के फाउंडर का अनोखा ऐलान...

नई दिल्ली, 26 दिसम्बर : मैसेजिंग ऐप टेलीग्राम के अरबपति संस्थापक पावेल ड्यूरोव ने एक चौंकाने वाला ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि जो भी उनके दान किए गए स्पर्म से जन्मे बच्चे उनके साथ DNA संबंध साबित करेंगे, उन्हें उनकी अरबों डॉलर की संपत्ति में बराबर का हिस्सा मिलेगा। पावेल ड्यूरोव ने उन महिलाओं के लिए IVF इलाज का खर्च उठाने की पेशकश भी की है, जो उनके डोनेट किए गए स्पर्म का इस्तेमाल करना चाहती हैं। यह जानकारी वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के हवाले से सामने आई है।

100 से ज्यादा जैविक बच्चों का दावा

41 वर्षीय रूसी मूल के टेक उद्यमी ने जुलाई 2024 में खुलासा किया था कि स्पर्म डोनेशन के जरिए उनके कम से कम 12 देशों में 100 से ज्यादा जैविक (Biological) बच्चे हैं। उन्होंने करीब 2010 में एक दोस्त की मदद के लिए स्पर्म डोनेशन शुरू किया था, जिसके बाद वह मॉस्को की एक फर्टिलिटी क्लिनिक में गुमनाम रूप से दान करने लगे।

रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 की गर्मियों में मॉस्को की AltraVita फर्टिलिटी क्लिनिक ने एक खास मार्केटिंग अभियान चलाया, जिसमें ड्यूरोव के बायोमैटीरियल को ‘हाई जेनेटिक कंपैटिबिलिटी’ वाला बताया गया। 37 साल से कम उम्र की महिलाओं के लिए मुफ्त IVF की पेशकश की गई।

DNA साबित करने पर मिलेगा वारिस होने का हक

क्लिनिक के एक पूर्व डॉक्टर के अनुसार, कानूनी जटिलताओं से बचने के लिए इस प्रक्रिया में केवल अविवाहित महिलाओं को शामिल किया गया। डॉक्टर ने बताया कि इच्छुक महिलाएं पढ़ी-लिखी और पूरी तरह स्वस्थ थीं। ड्यूरोव ने एक फ्रेंच मैगजीन को दिए इंटरव्यू और बाद में लेक्स फ्रिडमैन पॉडकास्ट में कहा कि उनके सभी जैविक बच्चों को बराबर विरासत मिलेगी, बशर्ते वे DNA के जरिए रिश्ता साबित कर सकें। उन्होंने कहा कि यह अधिकार शायद उनकी मृत्यु के 30 साल बाद लागू होगा।

17 बिलियन डॉलर की संपत्ति

फोर्ब्स के अनुसार, पावेल ड्यूरोव की कुल संपत्ति करीब 17 बिलियन डॉलर है। इसका बड़ा हिस्सा टेलीग्राम से जुड़ा हुआ है, जिसे वह भविष्य में एक नॉन-प्रॉफिट फाउंडेशन को सौंपने की योजना बना रहे हैं। इसके अलावा उनके पास 2013 में खरीदे गए बिटकॉइन की भी एक अज्ञात मात्रा है।

ड्यूरोव ने यह भी कहा कि वह अपना DNA ओपन-सोर्स करने की योजना बना रहे हैं, ताकि उनके जैविक बच्चे एक-दूसरे को पहचान सकें। इस ऐलान के बाद खुद को उनका बच्चा बताने वाले लोगों के संदेशों की बाढ़ आ गई है। टेक दुनिया में यह ऐलान चर्चा का बड़ा विषय बन गया है, जहां विरासत, टेक्नोलॉजी और जैविक संबंधों का एक अनोखा मेल देखने को मिल रहा है।

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