नई दिल्ली, 17 जून : मिडिल ईस्ट में चल रहे युद्ध ने न केवल क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित किया है, बल्कि इसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है। इस संघर्ष के चलते भारत समेत कई देशों में रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि की आशंका जताई जा रही है। साबुन, तेल, बिस्किट जैसे उत्पादों के दाम बढऩे की संभावना है, क्योंकि एफएमसीजी कंपनियों को चिंता है कि युद्ध के कारण कच्चे माल की कीमतें आसमान छू सकती हैं।
जब कच्चा माल महंगा होगा, तो उत्पादन की लागत भी बढ़ जाएगी, जिससे कंपनियों को अपने उत्पादों की कीमतें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। यदि ऐसा होता है, तो आम उपभोक्ताओं को अपने दैनिक जीवन में आवश्यक वस्तुओं के लिए अधिक पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं, जो कि आर्थिक दबाव को और बढ़ा सकता है।
कच्चे तेल के दाम बढऩे की संभावना
गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के कृष्णा खटवानी ने कहा कि मध्य पूर्व में तनाव बढऩे से कच्चे तेल के दाम बढ़ सकते हैं। गोदरेज कंपनी सिन्थोल साबुन और गुडनाइट मच्छर मारने वाली दवा बनाती है। उन्होंने आगे कहा कि इससे लोगों के लिए चीजें खरीदना मुश्किल हो सकता है। मिडिल ईस्ट में यह लड़ाई ऐसे समय में शुरू हुई है जब कंज्यूमर गुड्स बनाने वाली कंपनियों को लग रहा था कि अब मांग बढ़ेगी।
उम्मीदों पर फिर सकता है पानी
पिछली पांच तिमाहियों से मांग कम थी। लेकिन, भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्याज दरें कम कर दीं। सरकार ने बजट में टैक्स में छूट दी। मानसून भी जल्दी आ गया। इन सब वजहों से कंपनियों को लग रहा था कि अब चीजें बेहतर होंगी। बिसलेरी इंटरनेशनल के चीफ एग्जीक्यूटिव एंजेलो जॉर्ज ने कहा कि मध्य पूर्व के एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर में रुकावट आने से तेल की आपूर्ति कम हो सकती है।
बिसलेरी पानी की बोतलें बनाने वाली कंपनी है। उन्होंने आगे कहा कि इससे कच्चे तेल से बनने वाली पैकेजिंग की चीजों के दाम बढ़ सकते हैं। इससे उन कंपनियों को परेशानी होगी जो प्लास्टिक पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं।
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