नई दिल्ली, 8 जुलाई : अगर आप जनधन खाताधारक हैं तो यह खबर आपके लिए है। दरअसल, केंद्र सरकार ने सरकारी बैंकों को सलाह दी है कि वे उन खातों को बंद कर दें जो प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खोले गए हैं और लंबे समय से इस्तेमाल नहीं हो रहे हैं। सरकार को जानकारी मिली है कि कई सक्रिय जनधन खातों का इस्तेमाल ‘म्यूल खातों’ के रूप में किया जा रहा है, यानी दूसरों का गलत पैसा रखने या भेजने के लिए।
यानी इनका इस्तेमाल धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जा रहा है। इसकी वजह से साइबर धोखाधड़ी और ठगी के मामले बढ़ रहे हैं। सरकार ने उन सभी खातों को बंद करने का निर्देश दिया है, जिनमें पिछले 24 महीनों में कोई लेन-देन नहीं हुआ है।
क्या लाभ होगा?
इस कदम से बैंकिंग सिस्टम की सुरक्षा मजबूत होगी। इससे धोखाधड़ी की घटनाएं कम होंगी और सरकारी खर्च भी बचेगा। क्योंकि, निष्क्रिय खातों की निगरानी पर पैसा खर्च नहीं करना पड़ेगा। सरकार केवल उन्हीं खातों को सक्रिय रखना चाहती है जिनका सही तरीके से इस्तेमाल हो रहा है।
इससे धोखाधड़ी रुकेगी और सिस्टम साफ होगा। हालांकि, खातों को बंद करना एक संवेदनशील कदम है, इसलिए सभी जरूरी सावधानियां बरती जाएंगी।
जन धन योजना के तहत 55.7 करोड़ खाते खोले गए
2014 से अब तक कुल 55.7 करोड़ जनधन खाते खोले गए हैं, जिनमें 2.3 लाख करोड़ रुपये जमा हैं। इनमें से 31 करोड़ खाताधारक महिलाएं हैं। कुल खातों में से दिसंबर 2024 तक 113 मिलियन खाते (23त्न) निष्क्रिय थे, जिन्हें बंद कर दिया जाएगा।
कौन से खाते प्रभावित होंगे?
11.3 करोड़ निष्क्रिय खातों में से अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों से हैं। इनमें से कई खातों का कभी भी नियमित रूप से उपयोग नहीं किया गया। जिन खातों को पुन: सक्रिय नहीं किया गया है उन्हें सुरक्षित रूप से बंद कर दिया जाएगा।
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