November 20, 2025

टाइॅप रईसों में शामिल रहे अनिल अंबानी कैसे पहुंचे अर्श से फर्श पर..

टाइॅप रईसों में शामिल रहे अनिल अंबानी...

नई दिल्ली, 24 जुलाई : उद्योगपति अनिल अंबानी की समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले के तहत उनकी 50 से अधिक कंपनियों के कार्यालयों पर छापेमारी की है। अनिल अंबानी, जो कभी भारत के सबसे अमीर व्यक्तियों में शामिल थे, की अधिकांश कंपनियां अब दिवालिया हो चुकी हैं या बिक्री के कगार पर हैं।

हाल ही में, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने उन्हें धोखाधड़ी का आरोपी घोषित किया है, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति और भी कमजोर हो गई है। अनिल अंबानी की कहानी एक समय में ऊंचाई पर रहने के बाद अब गिरावट की ओर बढऩे की है, जो उनके लिए एक कठिन दौर साबित हो रहा है।

कभी दुनियां के छठे अमीर व्यक्ति थे

अनिल अंबानी, जो भारत और एशिया के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी के छोटे भाई हैं, कभी 2008 में 42 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ दुनियां के छठे सबसे अमीर व्यक्ति थे। लेकिन इसके बाद उनकी संपत्ति में तेजी से गिरावट आई, और फरवरी 2020 में उन्होंने ब्रिटेन की अदालत में दिवालिया होने की घोषणा की।

हालांकि, हाल के दिनों में उनकी कंपनियों ने अपने कर्ज को कम करने के लिए कुछ प्रयास किए हैं, लेकिन उनकी वित्तीय स्थिति में सुधार की कोई ठोस उम्मीद नजर नहीं आ रही है। इस प्रकार, अनिल अंबानी की कहानी एक उद्यमिता के उत्थान और पतन का प्रतीक बन गई है, जो न केवल उनके लिए बल्कि पूरे उद्योग जगत के लिए एक महत्वपूर्ण पाठ है।

1980 में शुरू हुआ सफर

बिजनस की दुनियां में अनिल अंबानी उभार 1980 के दशक में शुरू हुआ, जब उनके पिता धीरूभाई अंबानी को 1986 में स्ट्रोक हुआ था। अनिल ने रिलायंस के वित्तीय लेन-देन के डे-टु-डे मैनेजमेंट को संभाला। साल 2002 में धीरूभाई की मृत्यु के बाद अनिल और उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी ने संयुक्त रूप से रिलायंस का नेतृत्व किया।
हालांकि 2005 में कंट्रोल को लेकर विवादों के कारण भाइयों के बीच विभाजन हो गया। मुकेश के हिस्से में तेल और पेट्रोकेमिकल बिजनस आया जबकि अनिल को टेलिकॉम, पावर और फाइनेंशियल सर्विसेज जैसे नए वेंचर मिले।

बढ़ते कर्ज से जेल जाने की नौबत आई

जब उनकी टेलिकॉम कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस पर कर्ज बढऩे लगा तो वित्तीय संकट गहरा गया। साल 2019 में कंपनी को इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग में चली गई। उसी साल आरकॉम विदेशी कंपनी एरिक्सन ए.बी. की भारतीय यूनिट को 550 करोड़ का भुगतान करने में विफल रही और अनिल अंबानी के जेल जाने की नौबत आ गई। मुकेश अंबानी ने ऐन मौके पर अपने भाई की मदद की और उन्हें जेल जाने से बचा लिया।

चीनी बैंकों ने लंदन में किया मुकद्दमा

अनिल अंबानी की चुनौतियां उस समय और बढ़ गई, जब चीन के बैंकों ने $680 मिलियन के लोन डिफॉल्ट को लेकर लंदन की एक अदालत में अंबानी पर मुकदमा दायर किया। इन कंपनियों ने साल 2012 में रिलायंसस कम्युनिकेशंस को लोन दिए थे, जिसमें अनिल ने कथित तौर पर व्यक्तिगत गारंटी दी थी। अंबानी ने अदालत में तर्क दिया कि उन्होंने केवल एक गैर-बाध्यकारी लेटर दिया था। इसी दौरान उन्होंने खुद को दिवालिया बताया था।

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