नई दिल्ली, 1 अगस्त : आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में ज़्यादातर लोग तनाव से ग्रस्त हैं। इसके साथ ही, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मूड स्विंग की समस्या से परेशान रहते हैं। आमतौर पर लोग सोचते हैं कि बाइपोलर डिसऑर्डर ही मूड स्विंग है। लेकिन आपको बता दें कि ऐसा बिल्कुल नहीं है। मूड स्विंग से ग्रस्त लोगों का व्यवहार कब बदल जाए, यह कहा नहीं जा सकता।
मूड स्विंग क्या है?
क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, मूड स्विंग का मतलब है मूड में अचानक बदलाव। जैसे कभी बहुत खुश होना और फिर थोड़ी देर बाद उदास या चिड़चिड़ा महसूस करना। यह बदलाव मस्तिष्क में मौजूद न्यूरोट्रांसमीटर के बढ़ने या घटने के कारण होता है। यह एक प्रकार का रसायन होता है।
मूड स्विंग कभी-कभी भूख लगने, पालतू जानवर के साथ खेलने या टहलने जाने जैसी किसी वजह से हो जाते हैं। लेकिन कई बार मूड स्विंग का कोई खास कारण नहीं होता। वैसे तो मूड स्विंग हमारे जीवन का एक हिस्सा है। लेकिन अगर यह बार-बार हो या आपके रिश्तों और काम पर असर डालने लगे, तो डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी हो जाता है।
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