नई दिल्ली, 4 अगस्त : भारत में बच्चे के जन्म से लेकर स्कूल जाने तक, माता-पिता को कई आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यहाँ भारी महंगाई के कारण बच्चों का पालन-पोषण किसी बड़े खर्च से कम नहीं है। बच्चे के दूध और डायपर से लेकर स्कूली शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य ज़रूरतों पर पैसा खर्च होता है।
दूसरी ओर, ज़रा सोचिए, अगर आपको हर महीने 23,000 रुपये सिर्फ़ इसलिए मिलें क्योंकि आपके घर में एक बच्चा है। क्या यह थोड़ा चौंकाने वाला नहीं है? जर्मनी में ऐसा ही होता है।
जर्मन प्रणाली…
जर्मनी में सरकार हर माता-पिता को बच्चों की देखभाल के लिए हर महीने 255 यूरो (करीब 23,000 रुपये) देती है। इस योजना का नाम है किंडरगेल्ड। खास बात यह है कि यह पैसा आपकी आय पर निर्भर नहीं करता, चाहे आप अमीर हों या मध्यम वर्गीय, यह योजना सभी के लिए उपलब्ध है। यदि बच्चा दादा-दादी या किसी अन्य अभिभावक के साथ रह रहा है और वे जर्मनी में कर का भुगतान करते हैं, तो उन्हें भी यह सहायता मिलेगी, बशर्ते कि बच्चा उन पर निर्भर हो।
आपको पैसा प्राप्त होने में कितना समय लगेगा?
यह सुविधा बच्चे के 18 वर्ष का होने तक उपलब्ध है। अगर बच्चा बेरोज़गार है या किसी विकलांगता से ग्रस्त है, तो इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। अगर माता-पिता अलग हो जाते हैं, तो जिस माता-पिता के साथ बच्चा रह रहा है, वे इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
कम आय वाले लोगों के लिए अतिरिक्त सहायता
बहुत कम आय वाले लोगों को भी किंडरगार्ड के साथ-साथ पूरक बाल भत्ता भी मिलता है। और अगर आप उच्च आय वर्ग से हैं, तो आप कर-मुक्त बाल भत्ता भी चुन सकते हैं जो ज़्यादा फ़ायदेमंद हो सकता है। तो क्या भारत में भी ऐसी योजना की आवश्यकता है?
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