नई दिल्ली, 5 अगस्त : भारत के हितों के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब कूटनीति की सारी सीमाएं लांघने की कोशिश कर रहे हैं। व्यापार समझौते पर भारत सरकार के कड़े रुख को देखते हुए ट्रंप ने अब भारतीय आयात पर टैक्स की दरें और बढ़ाने की धमकी दी है।
हालाँकि, अपने पुराने रुख़ को बरकरार रखते हुए, उन्होंने न तो यह बताया है कि कर दरों में यह बढ़ोतरी कितनी होगी और न ही यह ट्रंप द्वारा पिछली बार भारत पर लगाए गए जुर्माने के फ़ैसले से अलग होगी। लेकिन इस बार भारत ने ट्रंप के पिछले बयानों पर सीधे तौर पर प्रतिक्रिया नहीं दी, बल्कि उसे सिरे से खारिज करते हुए उसे अन्यायपूर्ण और अनुचित बताया।
दुनियां को बताया रूस से तेल खरीदने वाला भारत अकेला नहीं
भारत ने अमेरिका और यूरोपीय देशों को यह भी दिखा दिया है कि कैसे वे अपनी ज़रूरतों के लिए अभी भी रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा है कि यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से ही अमेरिका और यूरोपीय देश भारत पर निशाना साध रहे हैं। दरअसल, भारत ने रूस से तेल खरीदना तब शुरू किया जब यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया के पारंपरिक तेल बाजारों से कच्चा तेल यूरोप भेजा जाने लगा। भारत रूस से तेल इसलिए खरीदता है ताकि वह अपने लोगों को सस्ती दरों पर ईंधन उपलब्ध करा सके, लेकिन यह सच है कि जो देश भारत पर आरोप लगा रहे हैं, वे खुद रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं।
हालाँकि, यह उनके लिए राष्ट्रीय हित का मामला नहीं है। यूरोपीय संघ का वर्ष 2024 में रूस के साथ 67.5 अरब यूरो का द्विपक्षीय व्यापार था। यह भारत के रूस के साथ कुल व्यापार से भी ज़्यादा था। यूरोप और रूस के बीच अभी भी उर्वरक, खनन उत्पाद, रसायन, लोहा और इस्पात आदि का व्यापार होता है। जहाँ तक अमेरिका का सवाल है, वह अभी भी रूस से यूरेनियम और अपने इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए पैलेडियम खरीद रहा है। ऐसे में भारत पर निशाना साधना अनुचित और गलत है। अन्य देशों की तरह भारत भी अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा के अनुरूप कदम उठाएगा।
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