चंडीगढ़, 27 अगस्त : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने नशे से जुड़े मामलों की सुनवाई करते हुए एक अहम आदेश जारी किया है। कोर्ट ने हाल के महीनों में दर्ज हुए हजारों एनडीपीएस मामलों पर चिंता जताई और राज्य सरकारों को सख्त आदेश दिया कि वे किसी भी निर्दोष व्यक्ति को झूठे मामलों में न फंसाएँ। जस्टिस संदीप मौदगिल की बेंच के समक्ष लुधियाना, फाजिल्का, श्री मुक्तसर साहिब, अमृतसर, जालंधर और अन्य जिलों से जुड़े कई मामलों के आरोपी पक्ष ने दलील दी कि बड़ी संख्या में दर्ज हो रही एफआईआर में कई बरामदगी संदेह के घेरे में हैं।
अधिकारियों को पर्चे दर्ज करने पर ईनाम से बढ़ी परेशानी
उन्होंने कहा कि पिछले छह महीनों में अकेले पंजाब में 2107 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से कई बरामद टैबलेट और कैप्सूल बिना बैच नंबर और एक्सपायरी डेट के पाए गए। ऐसे में पुलिस अधिकारियों द्वारा उक्त दवा के दुरुपयोग के कारण झूठी वसूली की संभावना बढ़ जाती है। यह चिंता इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि समय-समय पर मुख्यमंत्री और डीजीपी, पंजाब के बीच हुई बैठकों में कहा गया था कि जो पुलिस अधिकारी ज्यादा मामले दर्ज करेंगे, उन्हें अतिरिक्त इनाम भी दिया जाएगा।
बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा अदालत के समक्ष पेश किए गए आंकड़े चौंकाने वाले हैं। मार्च से जुलाई 2025 तक सिर्फ़ 148 दिनों में लगभग 14,906 एफआईआर दर्ज की गईं और 23,647 लोगों को गिरफ़्तार किया गया। अदालत में पेश किए गए रिकॉर्ड के अनुसार, सबसे ज़्यादा 296 मामले जालंधर देहात में दर्ज किए गए। सुनवाई के दौरान, पंजाब के एडवोकेट जनरल ने अदालत को आश्वासन दिया कि राज्य सरकार और पुलिस विभाग “ड्रग्स के ख़िलाफ़ युद्ध” अभियान को सही दिशा में और निष्पक्षता से लागू करेंगे।
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