पटियाला, 30 अगस्त : पंजाबी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. जगदीप सिंह का महान कोष मामले में माफ़ीनामा सामने आया है। कुलपति ने कहा कि “भाई काहन सिंह नाभा द्वारा लगभग 16 साल पहले प्रकाशित ‘महान कोष’ के गलत संस्करण को छिपाने के लिए पंजाबी विश्वविद्यालय द्वारा अपनाए गए तरीके ने कुछ संवेदनशील हृदयों को ठेस पहुँचाई है। मुझे इस बात का गहरा अफ़सोस है। जो कुछ भी हुआ उसके पीछे कोई साज़िश या गलत इरादा नहीं था। यह अनजाने में हुई गलती है।”
डॉ. जगदीप सिंह ने बताया कि ऐसा करने के पीछे की मंशा बिल्कुल नेक थी। विश्वविद्यालय ने इस मुद्दे के विभिन्न पहलुओं पर विचार करने के बाद यह निर्णय लिया कि इन प्रतियों को पानी की धारा की तरह ताज़े पानी में रखा जाए ताकि पानी इन कागज़ों को सोख ले और इनका कोई भी अंश इधर-उधर न बिखरे। इसके लिए दो बड़े गड्ढे खोदे जा रहे थे और उनमें ताज़ा पानी भरा जा रहा था। ऐसा करना पर्यावरण के प्रति मित्रवत दृष्टिकोण के साथ एक ‘इको-फ्रेंडली’ तरीका था क्योंकि 15 हज़ार की संख्या में इन बड़े आकार की प्रतियों को आग लगाने से भारी मात्रा में धुआँ निकल सकता था।
छात्रों के विरोध पर उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि इस सारी कार्रवाई को अंजाम देते समय यह भूल/चूक हुई है कि इसके लिए सिख रहत मर्यादा का तरीका अपनाया जाना चाहिए था। विश्वविद्यालय का मुखिया होने के नाते, मैं इसके लिए पूरे समुदाय से क्षमा याचना करता हूँ। प्राधिकरण अब सिख मर्यादा के तहत इस कार्य को करने के लिए प्रतिबद्ध है। अब शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के दिशानिर्देश मिलने के बाद ही उचित कार्रवाई की जाएगी।”
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