नई दिल्ली, 4 िसतंबर : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें उसके ज़्यादातर प्रमुख टैरिफ को अवैध घोषित किया गया था। अदालती दस्तावेज़ों में, ट्रंप प्रशासन ने तर्क दिया है कि ये टैरिफ यूक्रेन में शांति के हमारे प्रयासों का एक महत्वपूर्ण पहलू हैं।
प्रशासन ने कहा, “राष्ट्रपति ने हाल ही में यूक्रेन में रूस के युद्ध से संबंधित पहले से मौजूद राष्ट्रीय आपातकाल को दूर करने के लिए रूसी ऊर्जा उत्पादों की खरीद के लिए भारत के खिलाफ आईईईपीए टैरिफ को अधिकृत किया है, जो उस युद्धग्रस्त देश में शांति स्थापित करने के उनके प्रयासों का एक महत्वपूर्ण पहलू है।”
‘शुल्क के बिना, अमेरिका एक गरीब देश होगा’
27 अगस्त को, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने भारत पर टैरिफ दोगुना करके 50 प्रतिशत कर दिया। इस दस्तावेज़ में कहा गया है कि टैरिफ के साथ अमेरिका एक अमीर देश है और टैरिफ के बिना वह एक गरीब देश है।
दाखिल दस्तावेज में कहा गया है, “राष्ट्रपति के अनुसार, एक वर्ष पहले संयुक्त राज्य अमेरिका एक मृत देश था, और अब, हमारे साथ इतना बुरा व्यवहार करने वाले देशों से प्राप्त अरबों डॉलर के मुआवजे के कारण, संयुक्त राज्य अमेरिका एक बार फिर एक मजबूत, आर्थिक रूप से सक्षम और सम्मानित देश है।”
अमेरिकी अदालत ने क्या फैसला दिया?
पिछले हफ़्ते, एक अमेरिकी अपील अदालत ने ट्रंप के कई टैरिफ़ को अवैध करार दिया, लेकिन उन्हें लागू रहने दिया और प्रशासन को अक्टूबर के मध्य तक मामला सुप्रीम कोर्ट में ले जाने का समय दिया। अदालत ने यह भी कहा कि टैरिफ़ ने वैश्विक व्यापार को नुकसान पहुँचाया है।
इस फैसले ने निचली अदालत के फैसले की पुष्टि की कि ट्रम्प ने आपातकालीन आर्थिक शक्तियों का उपयोग करके भारी टैरिफ लगाने के अपने अधिकार का उल्लंघन किया है।
ट्रम्प ने अदालत के फैसले की आलोचना की
ट्रंप ने इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए ट्रुथ सोशल पर लिखा कि अपील अदालत का यह कहना गलत था कि हमारे टैरिफ हटा दिए जाने चाहिए, लेकिन उन्हें पता है कि अंत में अमेरिका की ही जीत होगी। उन्होंने यह भी कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट की मदद से इस फैसले को चुनौती देंगे।
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