जालंधर, 5 सितम्बर : पंजाब में 1998 के बाद से सबसे ज़्यादा बारिश और बाढ़ आई है। पठानकोट, गुरदासपुर, फाज़िल्का, कपूरथला, तरनतारन, फिरोजपुर, होशियारपुर और अमृतसर ज़िले सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं। अगस्त में पंजाब में 27 सालों में सबसे ज़्यादा बारिश हुई है। अगस्त में 253.7 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो कि दीर्घकालिक सामान्य 146.2 मिमी से 74 प्रतिशत ज़्यादा है।
बताया जा रहा है कि 1988 में महज चार दिनों में यानी 22-26 सितंबर के बीच भाखड़ा के पास के इलाके में 634 मिमी बारिश हुई थी। बांधों से छोड़े गए पानी के कारण नदियों के तटबंध टूट गए थे। इस दौरान कुल 12,989 गांवों में से करीब 9,000 बाढ़ से प्रभावित हुए थे और 2,500 से ज्यादा गांव पूरी तरह जलमग्न हो गए थे या बह गए थे। 34 लाख लोग प्रभावित हुए थे, करीब 1,500 लोगों की मौत हो गई थी और 500 लापता हो गए थे।
राज्य में हाल ही में आई बाढ़ से निपटने के लिए जहां एक ओर धनाढ्य लोग और प्रवासी भारतीय बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आगे आए हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार ने नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र से अपने हिस्से की बकाया राशि के साथ-साथ आर्थिक मदद की भी अपील की है।
मरम्मत कार्य के लिए बहुत कम समय बचा था
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), पुणे द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, 1988 में पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश तथा असम, अरुणाचल प्रदेश और बिहार में आई बाढ़ उस वर्ष की चार सबसे विनाशकारी मौसम घटनाओं में से एक थी। इसके अलावा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और राजस्थान में आए चक्रवाती तूफान के कारण भीषण गर्मी पड़ी और जम्मू-कश्मीर में भारी बर्फबारी हुई। दक्षिण-पश्चिम मानसून 22 जून को राज्य में पहुँचा। सरकार ने 23 जिलों में 2,800 किलोमीटर लंबे तटबंधों की मरम्मत और नालों की सफाई के लिए 117 करोड़ रुपये जारी किए, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि आपदा से पहले बचाव कार्य शुरू करने के लिए 30 जून की समय सीमा बहुत कम थी।
1901 के बाद से 13वीं सबसे अधिक वर्षा
रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब सहित उत्तर-पश्चिम भारत में अगस्त में 265 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो 2001 के बाद से इस क्षेत्र में सबसे अधिक और 1901 के बाद से 13वीं सबसे अधिक बारिश है। पंजाब में 1 जून से 30 अगस्त के बीच 443 मिमी बारिश हुई, जो पूरे मानसून सीजन के औसत से पहले ही अधिक है। सबसे ज्यादा मौतें पठानकोट में हुईं। अन्य जिले जहां मौतें हुईं उनमें अमृतसर, बरनाला, होशियारपुर, लुधियाना, मानसा, रूपनगर, बठिंडा, गुरदासपुर, पटियाला, मोहाली और संगरूर शामिल हैं। 1 अगस्त से शुरू होकर एक महीने की अवधि में कम से कम 12 जिलों में लगभग 2.56 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। अकेले फिरोजपुर में 107 गांवों के लगभग 45,000 लोग प्रभावित हुए हैं।
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