चंडीगढ़, 7 सितंबर : पंजाब में आई विनाशकारी बाढ़ में मरने वालों की संख्या बढ़कर 46 हो गई है, जबकि 1.75 लाख हेक्टेयर भूमि पर खड़ी फसलें नष्ट हो गई हैं। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), सेना, सीमा सुरक्षा बल, पंजाब पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा युद्धस्तर पर राहत एवं बचाव अभियान चलाया जा रहा है।
पंजाब दशकों की सबसे भीषण बाढ़ का सामना कर रहा है। हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण सतलुज, व्यास और रावी नदियाँ और मौसमी नाले उफान पर हैं, जिससे यह स्थिति पैदा हुई है। इसके अलावा, पंजाब में हाल के दिनों में हुई भारी बारिश ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है, जिससे लोगों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। अधिकारियों ने बताया कि शनिवार को पोंग बांध का जलस्तर मामूली रूप से घटकर 1,394.19 फीट रह गया, हालाँकि यह अभी भी अपनी अधिकतम सीमा 1,390 फीट से चार फीट ऊपर है।
केन्द्र सरकार दे सहयोग
शुक्रवार शाम को बांध का जलस्तर 1,394.8 फीट था। अधिकारियों के अनुसार, शुक्रवार को बांध में पानी की आवक 99,673 क्यूसेक थी, जो घटकर 47,162 क्यूसेक रह गई, जबकि डिस्चार्ज 99,673 क्यूसेक पर अपरिवर्तित रहा। भाखड़ा बांध के मामले में, शनिवार को जलस्तर 1,678.14 फीट दर्ज किया गया, जो शुक्रवार को 1,678.47 फीट था। सतलुज नदी पर बने इस बांध में 62,481 क्यूसेक पानी की आवक और 52,000 क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज देखा गया।
मंत्री ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की जवाबदेही और सहयोग की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि इस संकट से निपटने के लिए राजनीतिक अवसरवादिता के बजाय सहयोगात्मक प्रतिक्रिया की आवश्यकता है। चीमा ने कहा कि तबाही के बावजूद, पंजाब सरकार ने तेज़ी से और समन्वित तरीके से काम किया है। उन्होंने कहा कि राज्य भर में लगभग 200 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जहाँ 7,000 से ज़्यादा विस्थापित लोगों को आश्रय दिया गया है। एनडीआरएफ की 24 टीमें और एसडीआरएफ की दो टीमें 144 नावों की मदद से राहत और बचाव कार्य चला रही हैं।
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