October 6, 2025

एक अमेरिकी कानून की वजह से रातोंरात बढ़ गई डॉलर की मांग

एक अमेरिकी कानून की वजह से रातोंरात बढ़...

नई दिल्ली, 7 सितंबर : लगभग सभी देश डॉलर का इस्तेमाल करते हैं। अमेरिकी डॉलर को सबसे विश्वसनीय मुद्रा माना जाता है, खासकर अंतरराष्ट्रीय लेन-देन के लिए, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि डॉलर वैश्विक मुद्रा कैसे बना? जब डॉलर नहीं था, तब लोग व्यापार कैसे करते थे? अगर दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा बनकर उभरे डॉलर का अस्तित्व न होता, तो क्या होता?

आज डॉलर के बिना अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भले ही ठप हो जाए, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब अमेरिका एक-एक पैसे के लिए मोहताज था। अमेरिका के पास अपनी मुद्रा नहीं थी, लेकिन डॉलर ने अमेरिका को दुनिया का सबसे ताकतवर देश बना दिया।

डॉलर दुनिया की सबसे मजबूत मुद्रा कैसे बन गया?

अमेरिकी डॉलर के वैश्विक मुद्रा बनने की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। यह कहानी 1944 के ब्रेटन वुड्स समझौते से शुरू होती है। द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने के बाद, अमेरिका के न्यू हैम्पशायर स्थित ब्रेटन वुड्स शहर में 44 देशों के प्रतिनिधि इकट्ठा हुए थे। इस दौरान अमेरिका ने सभी देशों को भरोसा दिलाया था कि अगर वे सोने की बजाय डॉलर में व्यापार करेंगे, तो उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा।

डॉलर से पहले क्या प्रयोग किया जाता था?

डॉलर की कहानी बेशक अमेरिका की आज़ादी के बाद शुरू हुई, लेकिन उससे पहले अमेरिका में स्पेनिश सिल्वर डॉलर का इस्तेमाल होता था। दरअसल, 17वीं सदी में अमेरिका अंग्रेजों के अधीन था और अंग्रेज़ उन देशों को मुद्रा देने में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं रखते थे जो उनकी गुलामी में जकड़े हुए थे। ऐसे में स्पेनिश सिल्वर डॉलर अमेरिका की वास्तविक मुद्रा बन गया।