जम्मू: दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र लद्दाख स्थित सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन में देश की सेवा कर रहे भारतीय सेना के तीन जवान शहीद हो गए। वहीं बर्फ में दबे सेना के एक कैप्टन को बचा लिया गया। शहीदों में उत्तर प्रदेश के सैनिक मोहित कुमार, गुजरात के अग्निवीर दभी राकेश देवाभाई और झारखंड के अग्निवीर नीरज कुमार चौधरी शामिल हैं। तीनों शहीद महार रेजिमेंट के हैं। बचाए गए कैप्टन की पहचान अविरल शर्मा के रूप में हुई है।
सैन्य सूत्रों के अनुसार मंगलवार सुबह करीब 12 हजार फीट की ऊंचाई पर सियाचिन के बेस कैंप के पास हिमस्खलन हुआ। हिमस्खलन की चपेट में तीन जवान और एक कैप्टन आ गए। हिमस्खलन के तुरंत बाद सेना ने इलाके में बड़े पैमाने पर कार्रवाई की। तीनों जवान करीब पांच घंटे तक बर्फ के नीचे दबे रहे। इसके बाद बर्फ हटाने पर तीनों के शव मिले।
सेना ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी
सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला ने सियाचिन में देश की सेवा करते हुए शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। जीओसी ने कहा कि सैनिकों का यह बलिदान देश सेवा में उनकी अटूट निष्ठा और साहस को दर्शाता है।
मौसम की चुनौती का सामना करते हैं जवान
भारतीय सेना के जवान सियाचिन ग्लेशियर में 20,000 फीट की ऊंचाई पर दुश्मन के साथ-साथ मौसम की चुनौतियों का भी सामना करते हैं। सर्दियों में सियाचिन ग्लेशियर का तापमान शून्य से 60 डिग्री सेल्सियस नीचे तक चला जाता है। साल 2021 में सब-सेक्टर हनीफ में हिमस्खलन की चपेट में आने से दो जवान शहीद हो गए थे। इससे पहले, 2019 में 18,000 फीट की ऊंचाई पर गश्त के दौरान चार जवान और दो पोर्टर शहीद हो गए थे।
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