नई दिल्ली, 13 सितम्बर : भारत अब चीन से लगती अपनी सीमा को रणनीतिक रूप से मज़बूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। केंद्र सरकार ने चीन, भूटान, म्यांमार और बांग्लादेश की सीमा से लगे पूर्वोत्तर राज्यों के सुदूर इलाकों में 500 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन बिछाने की योजना को मंज़ूरी दे दी है। इस मेगा प्रोजेक्ट पर लगभग 30,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे और इसे अगले चार साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
रेल परियोजना की विशेषता क्या है?
यह रेल नेटवर्क भारत की पूर्वोत्तर सीमा से लगे संवेदनशील इलाकों को जोड़ेगा। इस परियोजना में पुलों और सुरंगों का निर्माण भी शामिल होगा, ताकि हर मौसम में परिवहन संभव हो सके। इस रेलवे लाइन का इस्तेमाल नागरिक यातायात के साथ-साथ ज़रूरत पड़ने पर सैन्य अभियानों के लिए भी किया जा सकेगा। यह नेटवर्क बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार और चीन की सीमाओं के पास बसे गाँवों और कस्बों तक बुनियादी ढाँचा और कनेक्टिविटी लाने में मदद करेगा। इस परियोजना का उद्देश्य न केवल परिवहन में सुधार लाना है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सामरिक संतुलन पर भी ज़ोर देना है।
यह परियोजना क्यों महत्वपूर्ण है?
भारत और चीन के संबंधों में उतार-चढ़ाव का एक लंबा इतिहास रहा है। 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद, भारत ने सीमा पर सैन्य और बुनियादी ढाँचे के विकास को तेज़ कर दिया है। हालाँकि हाल के महीनों में भारत-चीन संबंधों में कुछ नरमी आई है, लेकिन सरकार कोई जोखिम लेने को तैयार नहीं है। यह परियोजना इस सोच का परिणाम है कि चाहे कूटनीतिक बातचीत हो या टकराव की स्थिति, भारत को हर स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।
सड़कें और वायु सेना के बुनियादी ढांचे का भी विकास किया जा रहा है
पिछले 10 वर्षों में, भारत ने पूर्वोत्तर राज्यों में 1.07 लाख करोड़ रुपये की लागत से 9,984 किलोमीटर राजमार्गों का निर्माण किया है। वर्तमान में, 5,000 किलोमीटर से अधिक सड़कें निर्माणाधीन हैं, जो इन क्षेत्रों की स्थिति को पूरी तरह से बदल देंगी। इसके साथ ही, रेल नेटवर्क को जोड़कर एक संपूर्ण मल्टी-मॉडल परिवहन प्रणाली का निर्माण किया जा रहा है।
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