वॉशिंगटन, 13 अगस्त : दूसरे विश्वयुद्ध से पहले, जापान की अधिकांश कंपनियां उन्नत हथियारों के निर्माण में विशेषज्ञता रखती थीं। हालांकि, युद्ध के बाद जापान ने सैन्य उत्पादन से दूरी बना ली और कई जापानी कंपनियों ने तकनीकी नवाचारों की दिशा में कदम बढ़ाया। वर्तमान में, जब वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव आ रहा है, जापान एक बार फिर से हथियार निर्माण के क्षेत्र में सक्रिय हो गया है। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, भारत अब जापान के साथ संभावित सहयोग की दिशा में बढ़ रहा है, विशेष रूप से एयरोस्पेस क्षेत्र में, जिसमें उन्नत लड़ाकू विमान के इंजन का विकास शामिल है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इस विषय से जुड़े सूत्रों ने संकेत दिया है कि भारत, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम के साथ मिलकर जापान के साथ संपर्क में है, ताकि उन्नत लड़ाकू विमानों के लिए उच्च प्रदर्शन वाले इंजन का निर्माण किया जा सके। भारत का लक्ष्य ट्विन इंजन फाइटर प्रोजेक्ट्स के लिए आवश्यक तकनीकी क्षमताओं को विकसित करना है।
अमेरिका को बाय बाय बोल सकता है भारत
भारत ने जून 2023 में अमेरिका के साथ जी.ई. एफ-414 इंजन के स्वदेशी उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता किया था, जिसमें 80 फीसदी तक तकनीकी हस्तांतरण शामिल है। हालांकि, वर्तमान भू-राजनीतिक परिस्थितियों ने भारत के अमेरिका के प्रति विश्वास को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, जिसके परिणामस्वरूप भारत अब नए विकल्पों की खोज में जुटा हुआ है। इस संदर्भ में, जापान की रक्षा कंपनियों ने हाल के वर्षों में नौसेना क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है और अब उनका लक्ष्य एयरोस्पेस क्षेत्र में अपनी क्षमताओं को प्रदर्शित करना है।
भारत-जापान में होगा इंजन सहयोग समझौता?
भारत और जापान के बीच संबंध अत्यंत घनिष्ठ हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को दर्शाते हैं। जापान की सहायता से भारत बुलेट ट्रेन परियोजना पर कार्य कर रहा है, जो दोनों देशों के बीच तकनीकी और आर्थिक सहयोग का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। यदि भारत और जापान के बीच फाइटर जेट इंजन के निर्माण के लिए कोई समझौता होता है, तो इसे रणनीतिक साझेदारी के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में देखा जाएगा।
इसके अतिरिक्त, जापानी इंजन प्रौद्योगिकी को हासिल करना भारत के लिए पश्चिमी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता को कम करने और आपूर्ति श्रृंखला में संभावित बाधाओं से बचने का एक प्रभावी उपाय हो सकता है। उदाहरण के लिए, अमेरिका ने कई महीनों तक भारत को तेजस लड़ाकू विमान के लिए इंजन प्रदान नहीं किए, जिससे तेजस के उत्पादन में बाधा उत्पन्न हुई। ऐसे में, यदि भारत और जापान के बीच कोई समझौता होता है, तो भारत इस प्रकार की समस्याओं से बचने में सक्षम होगा, जिससे उसकी रक्षा क्षमता और आत्मनिर्भरता में वृद्धि होगी।
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