नई दिल्ली, 14 अप्रैल : सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसले में चार दशक से अधिक समय के बाद बेटियों को अपने पिता की संपत्ति में अधिकार प्रदान किया है। सर्वोच्च न्यायालय ने संपत्ति विवाद मामले में एक व्यक्ति के गोद लिए पुत्र से संबंधित दस्तावेजों को खारिज करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि यह बेटियों को उनके पिता की संपत्ति में अधिकार से वंचित करने की जानबूझ कर की गई चाल है।
हाईकोर्ट ने 1983 में दाखिल गोद लिए पुत्र के संबंध में दस्तावेज की वैधता पर फैसला करने में चार दशक से अधिक की देरी पर भी खेद जताया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि दस्तावेज से यह स्पष्ट नहीं है कि बच्चे को गोद लेने वाले व्यक्ति ने उसकी पत्नी की सहमति ली थी या नहीं। यह एक अनिवार्य शर्त है।
शिव कुमारी देवी और हरमुनिया उत्तर प्रदेश निवासी भुनेश्वर सिंह की बेटियां हैं, जिनका निधन हो चुका है। याचिकाकर्ता अशोक कुमार ने दावा किया कि भुनेश्वर सिंह ने एक समारोह में उसे उसके जैविक पिता सूबेदार सिंह से गोद लिया था। इस दावे से संबंधित एक तस्वीर भी अदालत के समक्ष पेश की गई। अशोक कुमार ने भुनेश्वर सिंह की विरासत पर भी दावा किया।
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