November 20, 2025

स्टारलिंक के बाद एमाजोन भारत में जल्द लांच करेगा सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस

स्टारलिंक के बाद एमाजोन भारत में जल्द,...

नई दिल्ली, 2 सितम्बर : भारत में इंटरनेट कनेक्टिविटी को नई ऊँचाइयों पर ले जाने की तैयारी की जा रही है। अमेज़न अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सेवा परियोजना “कुइपर” के साथ भारतीय बाज़ार में उतरने की तैयारी में है। कयास लगाए जा रहे हैं कि कंपनी अगले साल से यहाँ अपनी सेवाएँ शुरू कर सकती है। इससे भारत में सैटेलाइट इंटरनेट की प्रतिस्पर्धा और भी दिलचस्प हो जाएगी, क्योंकि स्टारलिंक, वनवेब और जियो सैटेलाइट जैसे बड़े खिलाड़ी पहले से ही सक्रिय हैं।

इसमें देरी क्यों हो रही है?

अमेज़न को भारत में व्यावसायिक सेवा शुरू करने में अभी कुछ समय लग सकता है। कंपनी के पास अभी भारत में सेवा शुरू करने के लिए ज़रूरी सैटेलाइट नेटवर्क नहीं है। इसके अलावा, भारत सरकार की सुरक्षा और लाइसेंसिंग ज़रूरतें भी एक बड़ी चुनौती हैं। अमेज़न इस समय सरकार के साथ अनुपालन और लाइसेंसिंग से जुड़े मुद्दों पर बातचीत कर रही है। ख़ास तौर पर, कंपनी भारत में स्थानीय स्तर पर डेटा स्टोर करने जैसी ज़रूरतों पर गंभीरता से विचार कर रही है। अमेज़न ने अक्टूबर 2023 में GMPCS (ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट) लाइसेंस के लिए आवेदन किया था और IN-SPACE से भी अनुमति मांगी है।

भारत में मुख्य प्रतिस्पर्धी कौन हैं?

भारत सरकार ने अब तक तीन कंपनियों को सैटेलाइट संचार सेवाएँ शुरू करने की अनुमति दी है। इनमें वनवेब, जियो-एसईएस संयुक्त उद्यम और एलन मस्क की स्टारलिंक शामिल हैं। हालाँकि, ये सेवाएँ ग्राहकों के लिए तभी उपलब्ध होंगी जब सरकार स्पेक्ट्रम आवंटित करेगी और कीमत तय करेगी।

बाज़ार कितना बड़ा है?

रिपोर्ट के अनुसार, भारत का सैटेलाइट संचार क्षेत्र 2028 तक 20 अरब डॉलर तक पहुँच सकता है। यह एक बहुत बड़ा बाज़ार है, जहाँ कई कंपनियों के लिए अवसर मौजूद हैं। मई 2024 में, ट्राई ने सुझाव दिया था कि सैटेलाइट कंपनियों को अपने AGR (एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू) का 4 प्रतिशत स्पेक्ट्रम शुल्क के रूप में सरकार को देना होगा। इसके अलावा, शहरी ग्राहकों पर प्रति उपयोगकर्ता 500 रुपये का अतिरिक्त वार्षिक शुल्क भी लगाया जा सकता है।

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