नई दिल्ली, 13 सितम्बर : रक्षा मंत्रालय को भारतीय वायुसेना से 114 ‘मेड इन इंडिया’ राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का प्रस्ताव मिला है और इस पर चर्चा शुरू हो गई है। इन विमानों का निर्माण फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन, भारतीय एयरोस्पेस कंपनियों के सहयोग से करेगी। इस प्रस्ताव की अनुमानित लागत 2 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा है, जिसमें 60 प्रतिशत से ज़्यादा स्वदेशी सामग्री शामिल है। अगले कुछ हफ़्तों में रक्षा सचिव की अध्यक्षता वाले रक्षा खरीद बोर्ड द्वारा इस पर चर्चा किए जाने की उम्मीद है।
यह रक्षा परियोजना, पूरी होने पर, भारत सरकार द्वारा हस्ताक्षरित अब तक का सबसे बड़ा रक्षा सौदा होगा। भारतीय वायु सेना द्वारा खरीदे जाने वाले 114 राफेल विमानों का स्टेटमेंट ऑफ केस (SoC) या प्रस्ताव कुछ दिन पहले रक्षा मंत्रालय को प्राप्त हुआ था और रक्षा वित्त सहित इसके विभिन्न विभाग इस पर विचार कर रहे हैं।
राफेल जेट की संख्या 176 हो जाने की उम्मीद
रक्षा अधिकारियों ने बताया कि विचार-विमर्श के बाद प्रस्ताव को रक्षा खरीद बोर्ड (डीपीबी) और फिर रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीआरसी) को भेजा जाएगा। राफेल के लिए अब तक के सबसे बड़े रक्षा सौदे से भारतीय रक्षा बलों के बेड़े में राफेल जेट की संख्या 176 हो जाने की उम्मीद है, क्योंकि भारतीय वायु सेना ने पहले ही 36 राफेल जेट शामिल कर लिए हैं, और भारतीय नौसेना ने सरकार-से-सरकार सौदों के तहत 36 राफेल जेट का ऑर्डर दिया है।
इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाने का कदम पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर में राफेल के प्रभावशाली प्रदर्शन के बाद उठाया गया है, जहाँ इसने अपने स्पेक्ट्रा इलेक्ट्रॉनिक युद्धक सूट का इस्तेमाल करके चीनी पीएल-15 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को पूरी तरह से परास्त कर दिया था। भारत में बनने वाले इन विमानों में मौजूदा स्कैल्प की तुलना में लंबी दूरी की हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलें होने की भी संभावना है, जिसका इस्तेमाल पाकिस्तान के अंदर सैन्य और आतंकवादी दोनों ठिकानों पर हमला करने के लिए बड़े पैमाने पर किया गया है।
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