सियोल, 25 सितंबर : एक अध्ययन में पता चला है कि मुंह में मौजूद बैक्टीरिया स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटन्स आंतों तक पहुँचकर मस्तिष्क के न्यूरॉन्स को प्रभावित कर सकता है और पार्किंसंस रोग को जन्म दे सकता है। दक्षिण कोरिया स्थित पोहांग विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने उस तंत्र की पहचान की है जिसके माध्यम से आंतों में मुंह से निकलने वाले बैक्टीरिया द्वारा उत्पादित मेटाबोलाइट्स पार्किंसंस रोग के विकास को बढ़ावा देते हैं।
प्रोफेसर आरा कोह ने कहा कि ये परिणाम एक चिकित्सा रणनीति के रूप में आंत के माइक्रोबायोटा को लक्षित करने की क्षमता को उजागर करते हैं, जो पार्किंसंस के उपचार में एक नई दिशा प्रदान करता है। ये निष्कर्ष नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।
पिछले अध्ययनों से पता चला है कि पार्किंसंस से पीड़ित लोगों का आंत माइक्रोबायोटा स्वस्थ लोगों से अलग है, लेकिन अद्वितीय सूक्ष्मजीव और मेटाबोलाइट्स स्पष्ट नहीं थे। नए निष्कर्षों से पार्किंसंस रोगियों के आंत माइक्रोबायोम में स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटेंस (एक मुंह का बैक्टीरिया जो दांतों की सड़न का कारण बनता है) का बढ़ा हुआ स्तर दिखाया गया है। महत्वपूर्ण रूप से, एस म्यूटेंस एंजाइम यूरोकाइनेज रिडक्टेस और इसके मेटाबोलाइट इमिडाज़ोल प्रोपियोनेट का उत्पादन करता है, जो रोगियों की आंत और रक्त दोनों में उच्च स्तर पर मौजूद थे।
इमिडाज़ोल प्रोपियोनेट मस्तिष्क तक पहुंचने और डोपामिनर्जिक न्यूरॉन्स के नुकसान में योगदान करने में सक्षम है। शोधकर्ताओं ने एक माउस मॉडल का इस्तेमाल किया। इसमें, एंजाइम यूरोकाइनेज को रिलीज करने के लिए एस म्यूटेंस को आंत या ई. कोली में पेश किया गया था।
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