October 6, 2025

क्या इतिहास कैनेडा और भारत को वर्तमान में करीब ला सकता है?

क्या इतिहास कैनेडा और भारत को...

टोरंटो – कनाडा और भारत के बीच संबंधों में सुधार की उम्मीद है। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के हालिया बयान में इस संबंध में संकेत मिले हैं। 110 वर्ष से अधिक पुरानी कोमागाटा मारू घटना पर प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की टिप्पणियां इस ओर इशारा करती हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने 1914 के कोमागाटा मारू घटना पर टिप्पणी की है, जिसमें 376 भारतीय आप्रवासियों को कनाडा में प्रवेश करने से रोक दिया गया था। उल्लेखनीय है कि पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल के दौरान भारत-कनाडा संबंधों में खटास आ गई थी।

कार्नी ने कहा है कि यह घटना इस बात की स्पष्ट याद दिलाती है कि देश किस प्रकार अपने मूल्यों से भटक गया है। उन्होंने कनाडाई लोगों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि इस तरह के अन्याय की पुनरावृत्ति कभी न हो। कार्नी ने कहा, आइये एक ऐसे भविष्य का निर्माण करें जहां समावेशन एक नारा न होकर वास्तविकता हो। 1914 में, कोमागाटा मारू नामक एक जापानी स्टीमर ने प्रशांत महासागर में एक लंबी यात्रा के बाद वैंकूवर बंदरगाह पर लंगर डाला।

कामागाटामारू घटना का किया जिक्र

कार्नी ने कहा कि जहाज पर सिख, मुस्लिम और हिंदू धर्मों के 376 लोग शरण और सम्मान की तलाश में यहां पहुंचे थे। कोमागाटा मारू घटना की याद में एक बयान में कार्नी ने कहा, कनाडाई अधिकारियों ने बहिष्कारकारी और भेदभावपूर्ण कानूनों का उपयोग करते हुए उन्हें प्रवेश से वंचित कर दिया। अपनी पीड़ा को याद करते हुए कार्नी ने कहा कि यात्रियों को दो महीने तक विमान में बंधक बनाकर रखा गया तथा उन्हें भोजन, पानी और चिकित्सा सुविधाएं नहीं दी गईं।

उन्होंने कहा, जब उन्हें भारत लौटने के लिए मजबूर किया गया तो उनमें से अधिकतर को या तो जेल भेज दिया गया या मार दिया गया। कनाडाई प्रधानमंत्री ने कहा, कोमागाटा मारू त्रासदी इस बात की स्पष्ट याद दिलाती है कि कैसे कनाडा हमारे इतिहास के कुछ क्षणों में उन मूल्यों से चूक गया। कार्नी ने कहा, हम अतीत को पुन: नहीं लिख सकते, लेकिन हमें उसका सामना करना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इस तरह के अन्याय कभी दोबारा न हों।