वैंकूवर, 5 नवम्बर : सरकार की नई इमिग्रेशन नीतियों की खामियों को दूर करने के लिए नए प्रस्तावों के तहत, किसी को देश में आमंत्रित करते समय उसके ज्ञान को परखने पर ज़ोर दिया जाएगा। इमिग्रेशन विभाग द्वारा तैयार किए गए मसौदे के विवरणों पर गौर करने से पता चलता है कि विभाग ने पिछले वर्षों की गलतियों से सबक लिया है। आने वाले वर्षों में, वीज़ा देते समय अब किसी भी व्यक्ति की पूरी जाँच-पड़ताल के बाद ही वीज़ा आवेदन स्वीकार किए जाएँगे।
इमिग्रेशन नीतियों का असर हर वर्ग पर पड़ेगा
प्रस्तावों के अनुसार, अब आवेदक द्वारा प्रस्तुत की गई आर्थिक स्थिति, शैक्षिक उपलब्धियों, पारिवारिक पृष्ठभूमि के साथ-साथ उसकी व्यक्तिगत गतिविधियों और विचारों की जाँच के लिए किसी योग्य बुद्धिजीवी की मदद ली जाएगी। प्रस्तावित इमिग्रेशन नीतियों का असर हर वर्ग पर पड़ेगा, भले ही उनमें थोड़ा बहुत अंतर हो। संसद में पेश विधेयक सी-12 के ज़रिए आव्रजन विभाग मौजूदा वीज़ा रद्द करने का अधिकार हासिल करने की कोशिश कर रहा है।
इसका असर मुख्य रूप से भारतीयों और बांग्लादेशियों पर पड़ेगा। विभाग के पास पुख्ता जानकारी है कि लंबी अवधि के पर्यटक वीज़ा हासिल करने वालों में बड़ी संख्या उन लोगों की है जिन्होंने फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के ज़रिए वीज़ा हासिल किया है। विभाग का मानना है कि अस्थायी वर्क परमिट लेकर आए लोगों के ज़रिए कई ग़लत तरीक़े भी सामने आए हैं, जिनकी पहचान की जा रही है। 2026 में आमंत्रित किए जाने वाले विभिन्न श्रेणियों के लोगों की संख्या 5.5 लाख से घटाकर 3,80,000 कर दी गई है। स्टडी वीज़ा में भी बड़ी कटौती की गई है।
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