नई दिल्ली, 9 अगस्त : केंद्र सरकार ने बहु-विषयक शिक्षा एवं अनुसंधान सुधार (मेरिट) योजना को मंज़ूरी दे दी है। इस योजना पर पाँच वर्षों में 4200 करोड़ रुपये खर्च होंगे और इससे लगभग साढ़े सात लाख छात्रों को लाभ होगा। यह योजना देश के 275 तकनीकी शिक्षण संस्थानों में लागू की जाएगी, जिनमें 175 इंजीनियरिंग कॉलेज और 100 पॉलिटेक्निक संस्थान शामिल हैं।
कैबिनेट बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को बताया कि यह एक केंद्रीय योजना है, जिसे इसी वित्तीय वर्ष से शुरू किया गया है। 2029-30 तक कुल 4200 करोड़ रुपये खर्च किए जाएँगे। इसमें से आधी राशि, यानी 2100 करोड़ रुपये, विश्व बैंक से ऋण लेकर प्रबंधित की जाएगी। इस योजना का उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता, समानता और प्रशासन में सुधार लाना है।
योजना के अनुसार, 285 सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त तकनीकी शिक्षण संस्थानों का चयन कर उन्हें योजना के तहत सहायता प्रदान की जाएगी। इसमें चयनित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), राज्य इंजीनियरिंग संस्थान, पॉलिटेक्निक और संबद्ध तकनीकी विश्वविद्यालय शामिल होंगे। इसके अलावा, तकनीकी शिक्षण संस्थान चलाने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी योजना के तहत सहायता प्रदान की जाएगी। इसके कार्यान्वयन के लिए एक केंद्रीय नोडल एजेंसी होगी, जिसके माध्यम से केंद्र सरकार इस योजना में भाग लेने वाले संस्थानों को धन उपलब्ध कराएगी।
योजना के तहत प्रमुख सुधारों में पाठ्यक्रम, शिक्षण विधियाँ, मूल्यांकन, तकनीकी पाठ्यक्रम के भीतर बहु-विषयक कार्यक्रमों का पुनर्गठन, अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना, भविष्य के शैक्षिक प्रशासकों का निर्माण, विभागीय कौशल उत्थान, तकनीकी शिक्षा में लैंगिक अंतर पर ध्यान केंद्रित करना और डिजिटल विभाजन को पाटना आदि शामिल हैं।
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