नई दिल्ली, 14 अक्तूबर : आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और रेबीज के खतरे को लेकर केंद्र सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 31 अक्टूबर तक अपने-अपने क्षेत्रों की कार्ययोजना मंत्रालय को सौंपने को कहा है। रिपोर्ट में आवारा कुत्तों की संख्या, नसबंदी यानी पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम की प्रगति और रेबीज टीकाकरण की अद्यतन स्थिति का पूरा ब्योरा देना होगा।
2030 तक भारत को रेबीज मुक्त बनाना लक्ष्य
केंद्र का लक्ष्य 2030 तक भारत को रेबीज मुक्त बनाना है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि 2025-26 की योजनाओं के लिए वित्त पोषण इसी रिपोर्ट से जुड़ा होगा। जिन राज्यों की कार्ययोजना स्पष्ट और क्रियान्वयन योग्य होगी, उन्हें ही प्राथमिकता के आधार पर वित्तीय सहायता दी जाएगी। जिनका काम संतोषजनक नहीं होगा, उन्हें धनराशि नहीं दी जाएगी।
केंद्र सरकार का यह निर्देश ऐसे समय आया है जब उत्तर प्रदेश, ओडिशा, बिहार और बंगाल जैसे राज्यों के कई शहरों में आवारा कुत्तों के हमले बढ़े हैं। मंत्रालय ने आवारा कुत्तों की अनियंत्रित वृद्धि के लिए स्थानीय सरकारों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि अब तक कई राज्य इसके लिए केवल गैर सरकारी संगठनों या पशु प्रेमी समूहों पर निर्भर रहे हैं, जबकि यह पूरी तरह से स्थानीय सरकारों की वैधानिक जिम्मेदारी है।
जिम्मेदारी राज्यों और स्थानीय सरकारों पर
सरकार ने स्पष्ट किया है कि देश को पांच साल में कुत्तों के काटने से होने वाले रेबीज के खतरे को शून्य पर लाना है। इसके लिए नीतिगत कदम उठाने की जिम्मेदारी राज्यों और स्थानीय सरकारों पर होगी। मंत्रालय का मानना है कि अगर 70 फीसदी कुत्तों का नियमित टीकाकरण और नसबंदी सुनिश्चित कर दी जाए तो रेबीज संक्रमण के मामलों में 90 फीसदी तक की कमी आ सकती है।
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