नई दिल्ली, 17 अगस्त : जीएसटी व्यवस्था से 12 और 28 प्रतिशत के टैक्स स्लैब हटने के बाद कपड़ों से लेकर घी-मक्खन तक सब कुछ सस्ता हो जाएगा। 1,000 रुपये से अधिक मूल्य की शर्ट, पैंट और जूते खरीदने पर 12 प्रतिशत टैक्स लगता है, जबकि 1,000 रुपये से कम मूल्य की शर्ट, पैंट और जूते पर पांच प्रतिशत जीएसटी देना पड़ता है। अब सभी प्रकार की शर्ट, पैंट और जूते पर पांच प्रतिशत टैक्स लगेगा।
अब टैक्स घटकर 7 प्रतिशत रह जाएगा
सरकार द्वारा जारी नए प्रस्ताव के अनुसार, 12 प्रतिशत वाले स्लैब में शामिल 99 प्रतिशत उत्पाद पाँच प्रतिशत वाले स्लैब में शामिल हो जाएँगे। ऐसे में रोज़ाना इस्तेमाल होने वाले सैकड़ों उत्पादों पर अब पहले के मुकाबले सात प्रतिशत तक कम टैक्स लगेगा और ग्राहकों को कम भुगतान करना होगा।
इनमें मुख्य रूप से सूखे मेवे, सभी प्रकार के पैकेज्ड स्नैक्स, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, चटनी, जैम, जैली, पैकेज्ड नारियल पानी, पैकेज्ड जूस, 20 लीटर की पैकेज्ड पानी की बोतलें, पास्ता, पेंसिल, टूथ पाउडर, जूट और सूती हैंडबैग, शॉपिंग बैग, मोमबत्तियां, शौचालय का सामान, मच्छरदानी, हथियार, विभिन्न प्रकार की आयुर्वेदिक और अन्य दवाएं, पास्ता, पर्दे, रसोई के बर्तन, कटाई मशीन, थ्रेसिंग मशीन, औषधीय ग्रेड ऑक्सीजन, सिंथेटिक यार्न, एल्यूमीनियम के बर्तन, खेल के सामान, फर्नीचर, नट और बोल्ट, सिलिकॉन वेफर, रेलवे में उपयोग होने वाले उत्पाद आदि शामिल हैं।
12 प्रतिशत स्लैब हटाया जा रहा है
जीएसटी विशेषज्ञों का कहना है कि कर दरों में बदलाव से सरकार के राजस्व पर ज़्यादा फ़र्क़ नहीं पड़ेगा क्योंकि जीएसटी के तहत मिलने वाले राजस्व का 65 प्रतिशत हिस्सा 18 प्रतिशत वाले स्लैब से आता है। 12 प्रतिशत वाले स्लैब को हटाया जा रहा है और राजस्व संग्रह में इसकी हिस्सेदारी सिर्फ़ पाँच प्रतिशत है।
अब लगेगा 5 प्रतिशत जीएसटी
अब इन उत्पादों पर 12 प्रतिशत की बजाय पाँच प्रतिशत जीएसटी लगेगा। ऐसा नहीं है कि इन उत्पादों को पूरी तरह से जीएसटी से मुक्त कर दिया गया है। 28 प्रतिशत स्लैब की जीएसटी राजस्व में 11 प्रतिशत हिस्सेदारी है और इसके उत्पाद 18 प्रतिशत में शामिल होंगे। बहुत कम उत्पाद 28 प्रतिशत में शामिल हैं। इनमें से कई उत्पादों पर 40 प्रतिशत जीएसटी लगाने का प्रस्ताव है।
पिछले वर्ष औसत जीएसटी संग्रह 1.8 लाख करोड़ रुपये था।
वित्त वर्ष 2024-25 में जीएसटी का मासिक औसत संग्रह 1.8 लाख करोड़ रुपये रहा है। 12 प्रतिशत स्लैब की जीएसटी राजस्व में पांच प्रतिशत हिस्सेदारी है और इस हिसाब से 1.8 लाख करोड़ रुपये में उनकी हिस्सेदारी 9 हजार करोड़ रुपये होती है।
डेलॉयट के पार्टनर (अप्रत्यक्ष कर) हरप्रीत सिंह ने कहा कि सरकार के नए प्रस्ताव के मद्देनजर राजस्व नुकसान की गणना की जा रही है और मोटे तौर पर यह नुकसान 4 हजार करोड़ रुपये मासिक देखा जा रहा है।
सरकार 28 प्रतिशत में शामिल कई उत्पादों को 40 प्रतिशत में शामिल कर सकती है। फिलहाल इस दिशा में विचार चल रहा है। सिंह ने कहा कि कुछ समय बाद दैनिक उपयोग के उत्पादों के सस्ते होने से उनकी बिक्री भी बढ़ने की उम्मीद है, जिससे जीएसटी संग्रह में हुए नुकसान की भरपाई हो जाएगी।
जीएसटी सुधारों से प्रयोज्य आय बढ़ेगी
केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के पूर्व अध्यक्ष नजीब शाह ने शनिवार को कहा कि जीएसटी ढांचे में बुनियादी बदलाव लाने की सरकार की योजना से उपभोक्ताओं की खर्च करने योग्य आय बढ़ेगी। इससे अर्थव्यवस्था में मांग और समग्र उपभोग को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
जीएसटी ढांचे में सुधार एक बहुत ही क्रांतिकारी कदम
नजीब शाह ने कहा कि सरलीकृत कर दरें, कम अनुपालन बोझ और लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए जीएसटी ढांचे में सुधार बेहद क्रांतिकारी कदम हैं। इनसे कर प्रणाली मज़बूत होगी। विकास को बढ़ावा मिलेगा और एक अग्रणी निवेश गंतव्य के रूप में भारत की स्थिति मज़बूत होगी।
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