वाशिंगटन, 17 अगस्त : तीन साल से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध में रूसी सेना ने यूक्रेन के एक बड़े हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया है। बदले में पुतिन को न सिर्फ़ धन और कई सैनिकों की कुर्बानी देनी पड़ी है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है। इतना कुछ गँवाने के बावजूद पुतिन समझौता करने को तैयार नहीं हैं। उनका साफ़ कहना है कि वे यूक्रेन की कब्ज़े वाली ज़मीन को किसी भी क़ीमत पर नहीं छुएँगे। यही वजह है कि दोनों देशों के बीच युद्धविराम पर कोई समझौता नहीं हो पाया है। हालाँकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी युद्ध रोकने के लिए दृढ़ हैं।
पुतिन और ट्रंप के बीच अलास्का में तीन घंटे तक बातचीत हुई, जिसमें युद्धविराम पर कोई सहमति नहीं बन पाई। हालाँकि, ट्रंप ने अभी तक हार नहीं मानी है। जानकारी के मुताबिक, ट्रंप पुतिन के समर्थन में भी उतर आए हैं।
पुतिन की मांग क्या है?
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप ने पुतिन के ज़मीन हड़पने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने मास्को को यूक्रेन के दो महत्वपूर्ण हिस्सों पर नियंत्रण करने की अनुमति दे दी है। ट्रम्प के साथ अपनी बैठक के दौरान पुतिन ने मांग की कि किसी भी परिस्थिति में पूर्वी यूक्रेन में डोनबास को नहीं छोड़ा जाना चाहिए, जो दो बड़े क्षेत्रों, डोनेट्स्क और लुहांस्क से बना है, जिसे ट्रम्प ने स्वीकार कर लिया है।
ज़ेलेंस्की ने इनकार कर दिया
अलास्का से लौटने के बाद ट्रंप ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की से भी फ़ोन पर बात की। उन्होंने बैठक से जुड़ी सारी जानकारी यूरोपीय देशों के साथ भी साझा की। इस बीच, ज़ेलेंस्की ने डोनबास को रूस को सौंपने से साफ़ इनकार कर दिया है।
ज़ेलेंस्की का कहना है कि वह यूक्रेनी संविधान से बंधे हैं और देश का कोई भी हिस्सा रूस को नहीं दे सकते। हालाँकि, ज़ेलेंस्की रूस, अमेरिका और यूक्रेन के साथ त्रिपक्षीय वार्ता के लिए सहमत हो गए हैं।
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