नई दिल्ली, 10 अक्तूबर : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बच्चों को यौन शिक्षा कम उम्र से ही दी जानी चाहिए, न कि कक्षा 9 से। न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति आलोक अराधे की पीठ ने कहा कि यौन शिक्षा उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में पाठ्यक्रम का हिस्सा होनी चाहिए, ताकि बच्चों और किशोरों को यौवन के साथ आने वाले हार्मोनल परिवर्तनों के बारे में जागरूक किया जा सके।
बच्चों को हार्मोनल परिवर्तनों के बारे में शिक्षित करना महत्वपूर्ण है
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आलोक अराधे की पीठ ने बच्चों को यौन शिक्षा देने के संबंध में ये टिप्पणियाँ कीं। पीठ ने कहा, “हमारा मानना है कि बच्चों को नौवीं कक्षा से नहीं, बल्कि कम उम्र से ही यौन शिक्षा दी जानी चाहिए।” पीठ ने कहा कि संबंधित अधिकारियों की ज़िम्मेदारी है कि वे अपने विवेक का इस्तेमाल करें और सुधारात्मक कदम उठाएँ ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बच्चों को यौवन के बाद उनके शरीर में होने वाले बदलावों और उनके लिए ज़रूरी देखभाल और सावधानियों के बारे में जानकारी दी जाए।
न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति आलोक अराधे की सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि यौन शिक्षा उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के पाठ्यक्रम का हिस्सा होनी चाहिए ताकि बच्चों और वयस्कों को यौवन के साथ होने वाले हार्मोनल परिवर्तनों के बारे में जागरूक किया जा सके।
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