वॉशिंगटन, 21 जून : रूस और चीन ने ईरान की सुरक्षा के लिए एकजुटता प्रदर्शित करने का निर्णय लिया है। सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस कदम के तहत डोनाल्ड ट्रंप को एक स्पष्ट और सख्त संदेश भेजा गया है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि अमेरिका इजरायल के संघर्ष में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रहा है, जिसे कम करने के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक-दूसरे से बातचीत की।
गुरुवार को हुई इस टेलीफोन वार्ता के दौरान, दोनों नेताओं ने इजरायल की कार्रवाइयों को अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन करार दिया, जिससे उनकी चिंता स्पष्ट होती है।
डोनाल्ड ट्रम्प को बताया विलन
इस बातचीत के समय डोनाल्ड ट्रंप ने ईरानी राष्ट्रपति की हत्या की धमकी दी थी, जो कि एक गंभीर और विवादास्पद बयान है। ट्रंप का यह आचरण, जिसे कुछ लोग सडक़छाप और सुपारी किलर के रूप में देख रहे हैं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तनाव को और बढ़ा सकता है।
इस संदर्भ में, शी जिनपिंग और पुतिन की बातचीत न केवल ईरान के प्रति समर्थन का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि वे अमेरिका की नीतियों के खिलाफ एकजुट होकर खड़े होने के लिए तैयार हैं। सीएनएन ने क्रेमलिन के हवाले से बताया है कि रूस और चीन के राष्ट्रपतियों ने टेलीफोन पर बातचीत के दौरान ईरान पर इजरायली हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है।
हालांकि इस दौरान बीजिंग के बयान में शी जिनपिंग की तरफ से थोड़ा ज्यादा संयमित लहजे में बात की गई और इजरायल की स्पष्ट रूप से निंदा करने से परहेज किया है।
ईरान की मदद को आगे आए चीन और रूस
शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन के बीच टेलीफोन पर उस वक्त बात हुई है जब कई रिपोट्र्स में दावा किया गया है की चीन के कई एयरक्राफ्ट ईरान में उतरे हैं। आशंका जताई गई है कि चीन ने ईरान में हथियार भेजे हैं। हालांकि हम इसकी पुष्टि नहीं कर रहे हैं। चीन लंबे वक्त से अमेरिका को मिडिल ईस्ट में अस्थिरता के लिए जिम्मेदार मानता आया है।
चीन के कई पॉलिटिकल एक्सपट्र्स का मौजूदा युद्ध को लेकर भी अमेरिका पर आरोप लगा रहे हैं। शंघाई इंटरनेशनल स्टडीज यूनिवर्सिटी के मिडिल ईस्ट एक्सपर्ट लियू झोंगमिन ने मौजूदा हालातों के लिए डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति को जिम्मेदार ठहराया है।
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