नई दिल्ली, 21 अक्तूबर : कृषि खाद की कीमतों पर जल्द ही असर पड़ सकता है! चीन ने 15 अक्टूबर से कुछ प्रमुख खादों के निर्यात पर अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगा दिया है। इनमें टीएमएपी (तकनीकी मोनोअमोनियम फॉस्फेट) और एडब्लू जैसे यूरिया घोल उत्पाद, साथ ही डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) और नियमित यूरिया जैसे पारंपरिक उर्वरक शामिल हैं।
इसका प्रभाव कितने समय तक रहेगा?
घुलनशील उर्वरक उद्योग संघ (एसएफआईए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीब चक्रवर्ती के अनुसार, “यह निर्यात प्रतिबंध लगभग 5 से 6 महीने तक चल सकता है और इससे वैश्विक उर्वरक कीमतों में 10-15% की वृद्धि हो सकती है।”
रेबीज़ के मौसम से घबराने की ज़रूरत नहीं
चीन द्वारा उर्वरक की आपूर्ति रोकने के बावजूद, अच्छी खबर यह है कि रबी सीजन (अक्टूबर से मार्च) के लिए भारत में उर्वरक की तत्काल कोई कमी नहीं है। भारतीय व्यापारियों ने पहले ही पर्याप्त मात्रा में उर्वरक का भंडार जमा कर लिया है, और अन्य देशों से भी आपूर्ति की जा रही है। चीन की यह चाल भी नाकाम होती दिख रही है।
राजीब चक्रवर्ती ने किसानों को सलाह दी कि वे घबराएँ नहीं और तुरंत उर्वरक खरीदने में जल्दबाजी न करें। अपनी ज़रूरतों के अनुसार पहले से योजना बनाएँ और आधिकारिक माध्यमों से सटीक जानकारी प्राप्त करें।
किसानों के लिए क्या करें और क्या न करें
पहले से योजना बनाएँ। अपनी मिट्टी और फसल की ज़रूरतों के आधार पर उर्वरक की आवश्यक मात्रा निर्धारित करें। केवल अधिकृत विक्रेताओं से ही खरीदें। नकली या अधिक कीमत वाले उत्पादों से बचें।
घबराकर खरीदारी न करें। अभी स्टॉक पर्याप्त है। उर्वरक का बुद्धिमानी से उपयोग करें। संतुलित मात्रा में उपयोग करने से उपज बढ़ेगी और लागत कम होगी।
भारत के लिए अन्य विकल्प
भारत अब दक्षिण अफ्रीका, चिली और क्रोएशिया जैसे देशों से उर्वरक आयात करने की संभावना तलाश रहा है ताकि आपूर्ति में कोई व्यवधान न हो।
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