इस्लामाबाद, 10 अगस्त: अंतरराष्ट्रीय संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल की ताज़ा रिपोर्ट ने पाकिस्तान में सफ़ाई कार्यों में जाति और धर्म के आधार पर बढ़ते भेदभाव पर चिंता जताई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में हाशिए पर पड़े समुदायों के शोषण के लिए एक व्यवस्था बनाई गई है। इन समुदायों को बुनियादी श्रम अधिकार और मानवीय समानता भी हासिल नहीं है। एमनेस्टी ने अल्पसंख्यकों के इस दुष्चक्र में फँसने की चेतावनी भी दी है।
पाकिस्तानी मानवाधिकार समूह सेंटर फॉर लॉ एंड जस्टिस के सहयोग से तैयार की गई एमनेस्टी की रिपोर्ट में कहा गया है कि सफाई के काम में लगे ईसाइयों और हिंदुओं को निचली जातियों का माना जाता है और उन्हें खतरनाक, कम वेतन वाले काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। सेंटर फॉर लॉ एंड जस्टिस के सहयोग से तैयार की गई यह रिपोर्ट लाहौर, बहावलपुर, कराची, उमरकोट, इस्लामाबाद और पेशावर के 230 कर्मचारियों के साक्षात्कारों पर आधारित है।
अल्पसंख्यकों के लिए ऐसी अमानवीय स्थितियाँ हैं।
बहावलपुर के एक व्यक्ति ने बताया कि उसने इलेक्ट्रीशियन की नौकरी के लिए आवेदन किया था, लेकिन उसे सफ़ाई के काम के लिए चुन लिया गया क्योंकि भर्ती करने वालों को पता चला कि वह ईसाई है। उसने कहा, “अगर आप ईसाई हैं, तो आपके लिए सिर्फ़ सफ़ाई का काम है। ऐसे लोगों के लिए कोई सम्मानजनक नाम नहीं होते।” महिलाओं को भी लिंग के आधार पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है। सार्वजनिक जगहों पर भी उनके साथ भेदभाव होता है और उनके इस्तेमाल के लिए अलग बर्तन रखे जाते हैं।
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