अमृतसर, 16 सितंबर : कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के दौरे के दौरान गुरुद्वारा बाबा बुड्ढा साहिब रामदास में सिरोपा दिए जाने का मामला आज शाम सुर्खियों में आ गया है, जिस पर कड़ा संज्ञान लेते हुए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
राजनीतिक हस्तियों को सिरोपा देने पर रोक
राहुल गांधी को गुरुद्वारा बाबा बुड्ढा साहिब रामदास में सिरोपा दिए जाने के मामले को लेकर अध्यक्ष श्री धामी ने कहा कि पिछले दिनों अंतरिम कमेटी द्वारा लिए गए फैसले के अनुसार गुरुद्वारे के दरबार साहिब के अंदर राजनीतिक हस्तियों को सिरोपा देने पर रोक है। यह सम्मान केवल धार्मिक हस्तियों, रागी सिंहों और गुरु दरबार में सिख महापुरुषों को ही यह सम्मान देने तक सीमित है। गुरुद्वारा बाबा बुड्ढा साहिब रामदास में हुई घटना को लेकर जांच की जा रही है।
कल तक पूरी रिपोर्ट ले ली जाएगी। अगर कोई दोषी पाया गया तो कार्रवाई जरूर की जाएगी। उन्होंने कहा कि सिखों के खिलाफ नरसंहार के आरोपी कांग्रेस नेता और गांधी परिवार के सदस्य राहुल गांधी को गुरुद्वारे से मुकुट देना किसी भी तरह से स्वीकार नहीं किया जा सकता।
एसजीपीसी ने सिखों के जख्मों पर नमक छिड़का
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य जत्थेदार सुरिंदर सिंह भूलेवाल राठान, भाई मंजीत सिंह, मास्टर मिट्ठू सिंह काहनेके, मलकीत सिंह चंगाल ने कहा है कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने अपने प्रबंधन के अधीन गुरुद्वारा श्री समाध बाबा बुड्ढा जी साहिब रामदास में राहुल गांधी को शेरपा देकर सिखों के कच्चे घावों पर नमक छिड़क दिया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि गांधी परिवार ने सत्ता के नशे में श्री अकाल तख्त साहिब को गिराया। दिल्ली में सिख कत्लेआम के लिए जिम्मेदार गांधी परिवार के बेटे राहुल गांधी को शिरकत दी गई और वह भी एसजीपीसी के प्रबंधन वाले गुरुद्वारा साहिब में, सिख कौम के लिए इससे शर्मनाक बात और कुछ नहीं हो सकती। लोगों में चर्चा थी कि सरां बंधुओं ने शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस को करीब लाने का काम अपने हाथ में ले लिया है।
उसी कड़ी के तहत गांधी परिवार को माफी दिलाने की साजिश रची जा रही है और उसी कड़ी के तहत आज सिख संगत के गुस्से को परखने के लिए राहुल गांधी को शिरोमणि कमेटी के गुरुद्वारे में शिरकत दी गई है। एसजीपीसी सदस्यों ने कहा कि यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि यह ताज किसके आदेश पर दिया गया।
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