नई दिल्ली, 24 सितंबर : कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी इंद्रजीत सिंह गोसल की गिरफ्तारी इस बात का स्पष्ट संकेत है कि जाँच एजेंसियों ने सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। गोसल कनाडा में प्रतिबंधित एसएफजे का मुख्य संयोजक है और पंजाब से अलग खालिस्तान राष्ट्र के लिए समर्थन जुटाने हेतु जनमत संग्रह कराने का ज़िम्मेदार था।
भारतीय एजेंसियाँ नियमित रूप से कनाडा में अपने समकक्षों के साथ बब्बर खालसा इंटरनेशनल जैसे समूहों के बारे में जानकारी साझा करते हुए ख़ुफ़िया जानकारी साझा करती हैं, लेकिन इस बार मुख्य रूप से एसएफजे पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
एसएफजे खालिस्तान आंदोलन का प्रचार विंग चलाता है
भारतीय अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि बब्बर खालसा इंटरनेशनल के विपरीत, एसएफजे सशस्त्र संघर्ष नहीं कर रहा है, लेकिन यह सच है कि खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के नेतृत्व वाला यह समूह कहीं अधिक खतरनाक है। एसएफजे खालिस्तान आंदोलन का प्रचार विंग चलाता है। इसके अधिकांश अभियान खालिस्तान के निर्माण के इर्द-गिर्द घूमते हैं। इसने बार-बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है और उनकी हत्या का आह्वान किया है।
एसएफजे भारत में किसानों के विरोध प्रदर्शनों में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहा था, जिसका उद्देश्य सिख समुदाय को भड़काना और उन्हें भारत सरकार के खिलाफ हथियार उठाने के लिए प्रोत्साहित करना था। भारत ने कनाडा के साथ चिंता व्यक्त की है कि खालिस्तानी भारत में हमलों के लिए कनाडा को लॉन्च पैड के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। कई डोजियर साझा किए गए हैं, जो अन्य आतंकवादी समूहों और गैंगस्टरों के साथ मिलीभगत में एसएफजे की भूमिका को साबित करते हैं।
18 सितंबर को नई दिल्ली में एनएसए अजीत डोभाल और उनकी समकक्ष नथाली जी. ड्राइन के बीच हुई बैठक के बाद उन्होंने कहा कि हमने अपनी सुरक्षा चिंताओं पर चर्चा की और हस्तक्षेप न करने का वादा किया।
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