नई दिल्ली, 27 मई : UPI (Unified Payments Interface) भारत में डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में एक प्रमुख साधन बन चुका है, जो न केवल बिलों के बंटवारे और किराने का सामान खरीदने में सहायक है, बल्कि धन के त्वरित हस्तांतरण को भी सरल बनाता है। इसकी लोकप्रियता ने इसे देश के अधिकांश लोगों के लिए एक आवश्यक उपकरण बना दिया है।
31 जुलाई से यूपीआई का बदल जाएगा नियम
हालांकि, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा 31 जुलाई, 2025 से लागू होने वाले एक नए अपडेट के अनुसार, यूपीआई ऐप के माध्यम से उपयोगकर्ताओं द्वारा अपने बैंक बैलेंस की जांच करने की संख्या को सीमित किया जाएगा। यह कदम सिस्टम की दक्षता को बढ़ाने और सर्वर पर बोझ को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है, जिससे उपयोगकर्ताओं को बेहतर अनुभव मिल सके।
प्रणाली पर अधिक बोझे के चलते लिया फैसला
एनपीसीआई द्वारा बैलेंस जांच पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय, पीक आवर्स के दौरान यूपीआई प्रणाली पर बढ़ते दबाव के कारण लिया गया है, जहां उपयोगकर्ता कई बार अपना बैलेंस रिफ्रेश करते हैं, जिससे सर्वर पर अनावश्यक लोड पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप प्रदर्शन में कमी आती है और लेनदेन में देरी होती है। लंबित जांचों को सीमित करके, एनपीसीआई का लक्ष्य यूपीआई ट्रैफिक को सुव्यवस्थित करना और अधिकतम उपयोग अवधि के दौरान सुचारू संचालन को सक्षम बनाना है।
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