नई दिल्ली, 12 अगस्त : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने 1 अगस्त, 2025 से यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) बनाने और उसे एक्टिवेट करने की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है। अब UAN केवल UMANG ऐप के ज़रिए फेस ऑथेंटिकेशन टेक्नोलॉजी (FAT) के ज़रिए ही जारी किया जाएगा। यह नियम सभी नए कर्मचारियों पर लागू होगा।
2 दिनों में 1,000 से अधिक भर्तियां रोकी गईं
इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन (आईएसएफ) का कहना है कि इस बदलाव का भर्ती प्रक्रिया पर तत्काल प्रभाव पड़ा है। सिर्फ़ दो दिनों में 1,000 से ज़्यादा उम्मीदवारों की नियुक्ति प्रक्रिया रोक दी गई। इससे न सिर्फ़ वेतन प्रभावित हुआ, बल्कि पीएफ अंशदान और अन्य अनुपालन समय-सीमाएँ भी खतरे में पड़ गईं।
कंपनियों के सामने बड़ी चुनौतियाँ
आईएसएफ के अनुसार, स्टाफिंग कंपनियों में अस्थायी कर्मचारियों की संख्या बहुत अधिक है और कर्मचारियों के आने-जाने का सिलसिला लगातार बना रहता है। एफएटी प्रक्रिया में प्रत्येक कर्मचारी की व्यक्तिगत भागीदारी आवश्यक है, लेकिन कई कर्मचारियों के पास स्मार्टफोन या विश्वसनीय इंटरनेट कनेक्शन नहीं हैं। इससे यूएएन जनरेट होने में देरी होती है, जिसका सीधा असर वेतन भुगतान और पीएफ अंशदान पर पड़ता है, खासकर एमएसएमई और उच्च कारोबार वाले क्षेत्रों में। तकनीकी दिक्कतें भी एक बड़ी समस्या बन रही हैं। चेहरे की पहचान में विफलता, सर्वर डाउनटाइम या कैमरों और नेटवर्क की खराब गुणवत्ता, ये सभी जमीनी स्तर पर एफएटी को लागू करना मुश्किल बना रहे हैं।
अनुपालन की समय सीमा पर खतरा
ईपीएफओ ने आधार लिंकिंग और एफएटी के लिए 30 जून, 2025 की समयसीमा तय की है। यह समयसीमा हज़ारों कर्मचारियों का प्रबंधन करने वाली कंपनियों के लिए एक बड़ी चुनौती है। समय पर इसका पालन न करने पर जुर्माना लग सकता है या पीएफ अंशदान रोका जा सकता है, जिसका असर नियोक्ता और कर्मचारी दोनों पर पड़ेगा। आईएसएफ का कहना है कि कई कर्मचारियों के आधार मोबाइल नंबर अपडेट नहीं हैं या बायोमेट्रिक्स में कोई गड़बड़ी है। ऐसे में सफल फेस ऑथेंटिकेशन संभव नहीं है।
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