नई दिल्ली, 22 अगस्त : भारत सरकार ने संसद में “ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन एवं विनियमन विधेयक 2025” पेश किया और विरोध के बावजूद इसे पारित कर दिया। इस कानून के अनुसार, ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को बढ़ावा दिया जाएगा, जबकि ऑनलाइन मनी गेम्स पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। यानी अब कोई भी खेलों के ज़रिए ऑनलाइन सट्टा नहीं लगा सकेगा।
सरकार ने गेमिंग को तीन श्रेणियों में विभाजित किया है:
1. ई-स्पोर्ट्स
इसमें शतरंज, बैटल रॉयल या कौशल-आधारित खेल शामिल हैं। जीत या हार खिलाड़ी के कौशल और अनुभव पर निर्भर करती है। कभी-कभी पुरस्कार राशि भी हो सकती है।
2. ऑनलाइन सोशल गेम
ये ऐसे गेम हैं जिन्हें बच्चे या उपयोगकर्ता मनोरंजन और सीखने के लिए खेलते हैं। कभी-कभी सदस्यता या इन-ऐप खरीदारी की आवश्यकता होती है, लेकिन पैसे जीतने का कोई प्रलोभन नहीं होता।
3. ऑनलाइन मनी गेम
इस श्रेणी में वे खेल शामिल हैं जिनमें खिलाड़ियों को पहले पैसा जमा करके खेलना होता है और खिलाड़ियों को यह उम्मीद होती है कि वे और ज़्यादा पैसे जीत सकते हैं। बार-बार खेलने पर ज़्यादा कमाई का लालच दिया जाता है। सरकार ने इसे जुए जैसा खेल माना है।
गेमिंग उद्योग का आकार
एक अनुमान के मुताबिक, भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग का सालाना बाज़ार लगभग 31,000 करोड़ रुपये का है। यह क्षेत्र हर साल लगभग 20,000 करोड़ रुपये का कर संग्रह कर रहा है। इस उद्योग से 2 लाख से ज़्यादा लोग जुड़े हुए हैं। वर्ष 2020 में भारत में गेमर्स की संख्या लगभग 36 करोड़ थी, जो 2024 में बढ़कर 50 करोड़ हो गई है।
वैश्विक गेमिंग उद्योग का मूल्य 2030 तक 66,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। भारत का ऑनलाइन गेमिंग उद्योग सालाना 32% की दर से बढ़ रहा है, जो दुनिया की औसत विकास दर से दोगुना से भी अधिक है।
साफ़ शब्दों में कहें तो सरकार ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को बढ़ावा देगी, लेकिन मनी गेम्स (जहाँ ज़्यादा पैसा जीतने के लिए पैसा लगाया जाता है) पर अब पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। PUBG, Free Fire और GTA जैसे गेम्स खेले जाते रहेंगे क्योंकि ये मनी गेम्स की श्रेणी में नहीं आते।
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