नई दिल्ली, 27 नवम्बर : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह तर्क कि मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) देश में अभूतपूर्व है, चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ आधार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल में एसआईआर को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर भी सुनवाई निर्धारित की है।
पीठ ने तमिलनाडु के आवेदन पर एक दिसंबर तक चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। याचिकाओं को 4 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध किया गया है। केरल में एसआईआर के खिलाफ आवेदनों पर एक दिसंबर तक जवाब मांगे गए हैं और सुनवाई 2 दिसंबर को होगी। पीठ पश्चिम बंगाल में एसआईआर के खिलाफ आवेदनों पर 9 दिसंबर को सुनवाई करेगी।
आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं
कई राज्यों में मतदाता सूची की जांच के खिलाफ दायर अंतिम याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची ने कहा कि चुनाव आयोग के पास फॉर्म 6 में सही प्रविष्टि निर्धारित करने का अधिकार है। फॉर्म 6 किसी व्यक्ति द्वारा मतदाता के रूप में पंजीकरण के लिए भरा जाता है। पीठ ने दोहराया, “आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है और यह किसी भी अन्य दस्तावेज़ की तरह ही एक दस्तावेज़ है।
फॉर्म 6 स्वीकार करना चाहिए
मान लीजिए कि कोई व्यक्ति पड़ोसी देश का है और मज़दूरी करता है, तो उसे मतदाता नहीं माना जा सकता। अगर किसी का नाम हटाया जाता है, तो उसे इस संबंध में नोटिस देना होगा।” पीठ इस तर्क से सहमत नहीं दिखी और कहा, “आप कह रहे हैं कि चुनाव आयोग एक डाकघर है जिसे फॉर्म 6 स्वीकार करना चाहिए और आपका नाम भी उसमें शामिल करना चाहिए।” कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि जब तक कुछ गलत सामग्री न हो, चुनाव आयोग को फॉर्म 6 स्वीकार करना चाहिए।
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