चंडीगढ़, 1 सितम्बर : पानी के मुद्दे पर एक बार फिर पंजाब और हरियाणा आमने-सामने आ गए हैं। तस्वीर में बस इतना बदलाव आया है कि हरियाणा अब भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) से पानी कम करने की मांग कर रहा है। इस बीच, पंजाब के सात जिले बाढ़ की चपेट में हैं और 1000 से ज़्यादा गाँव पानी में डूबे हुए हैं। हरियाणा सरकार द्वारा बीबीएमबी को लिखे गए पत्र के बाद पंजाब के जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल का कहना है कि हरियाणा हमें डुबोना चाहता है। पंजाब पहले से ही बाढ़ से जूझ रहा है और हरियाणा कम पानी छोड़ने की मांग कर रहा है।
1 मई को हरियाणा अतिरिक्त पानी मांग रहा था
गौरतलब है कि 1 मई को हरियाणा बीबीएमबी से इसी पानी में से 8500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी मांग रहा था। जबकि पंजाब सरकार कह रही थी कि हरियाणा अपने हिस्से का पानी ले चुका है। पंजाब के पास एक बूंद भी अतिरिक्त पानी नहीं है। हालात यहां तक पहुंच गए थे कि आम आदमी पार्टी के नेता नंगल डैम जाकर धरने पर बैठ गए थे। मुख्यमंत्री भगवंत मान से लेकर पंजाब के कैबिनेट मंत्री तक हरियाणा की मांग के विरोध में मैदान में उतर आए थे।
बीबीएमबी के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी का घेराव किया गया था। मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया था। हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार से कहा था कि जो हम दुश्मन देशों के साथ करते हैं, वो अपने राज्यों के साथ न करें।
चार महीनों ने बादल की तस्वीर बदल दी है। बाढ़ आने पर पंजाब दूसरे राज्यों को पानी देना चाहता है, लेकिन कोई पानी लेने को तैयार नहीं। हरियाणा ने बीबीएमबी को पत्र लिखकर आपूर्ति किए जाने वाले पानी में से 7900 क्यूसेक की कटौती कर 6250 क्यूसेक (करीब 46,711 लीटर) करने की मांग की है।
गौरतलब है कि मई में जल विवाद के दौरान मुख्यमंत्री भगवंत मान लगातार दोहरा रहे थे कि जब बारिश होती है तो कोई भी राज्य ज्यादा पानी लेने के लिए आगे नहीं आता। यानी पंजाब तो डूबने के लिए है, लेकिन जब बंटवारे की बात आती है तो सब आगे आ जाते हैं। जल संसाधन मंत्री गोयल ने भी हरियाणा सरकार की इस मांग की निंदा की है।
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